मप्र वालेंटरी हेल्थ एसोसिएशन ने तंबाकू उत्पाद कचरे-अपशिष्ट का पर्यावरण पर बोझ अध्ययन की राष्ट्रीय-प्रादेशिक फैक्ट शीट जारी की है। कार्यकारी निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया, यह अध्ययन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च यूनिट द्वारा द यूनियन के तकनीकी व एसोसिएशन के प्रदेश स्तरीय सहयोग से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 33 जिलों में किया गया।
84 मेगाटन सीओटू के बराबर गैस
इन तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग में प्लास्टिक, कागज, पन्नी और फिल्टर सामग्री का वजन लिया गया। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण 2016-17 के डाटा से इसे संबद्ध किया। रिपोर्ट में बताया गया कि तंबाकू उद्योग विश्व में 84 मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओटू) के बराबर वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्पादन के साथ नुकसान पहुंचाता है।
मप्र में सालभर तंबाकू उत्पादों से निकला कचरा
विश्व में हर साल तंबाकू उगाने के नाम पर 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो जाती है। खासकर विकासशील देशों में तंबाकू उगाने के लिए वनों की कटाई होती है।
सिगरेट 778.63 टन
बीड़ी 954.79 टन
तंबाकू 8895.43 टन
(इसमें कागज, प्लास्टिक, एल्यूमीनियम फाइल, पन्नी, फिल्टर शामिल हैं)
तंबाकू के आदी को हर 6 सेकंड में मौत लगाती है गले
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण गेट्स द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश की साढ़े सात करोड़ लोगों की आबादी में से करीब दो करोड़ से ज्यादा लोग किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से करीब 90 हजार लोगों की मौत सिर्फ तंबाकू से हो जाती है।
भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, देश स्तर पर जानें तो यहां रोज़ाना लगभग 3800 से ज्यादा लोग तम्बाकू सेवन के कारण जान गंवा देते हैं। वहीं, दुनियाभर में हर 6 सेकंड में एक व्यक्ति तंबाकू के कारण मौत को गले लगा लेता है।