सरकार और भाजपा खोज रही रास्ता ओपीएस के मुद्दे पर भाजपा बचने का रास्ता खोज रही है कि राज्य व केंद्र सरकारों की आर्थिक सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) को ही आकर्षक व गारंटीशुदा बनाने का विकल्प अपनाया जाए। इसके तहत केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार के लिए वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। कर्मचारियों के आंदोलन के बाद महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार ने भी एनपीएस में गारंटीशुदा पेंशन पर विचार के लिए समिति का गठन किया है। विधानसभा चुनाव में हार से पहले कर्नाटक की भाजपा सरकार ने ओपीएस लागू करने पर विचार के लिए समिति का गठन किया था लेकिन इसका लाभ नहीं हुआ और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।
पेड़ पर पैसे नहीं … से सामाजिक सुरक्षा तक देश की अर्थव्यवस्था की चिंता करते हुए कांग्रेसनीत यूपीए सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते, लेकिन अब सामाजिक सुरक्षा के नाम कांग्रेस सरकारों की आर्थिक सेहत को दरकिनार कर अपने शासित राज्यों में ओपीएस लागू कर रही है। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने इसे सबसे पहले लागू किया और बाद में छत्तीसगढ़ व हिमाचल प्रदेश में लागू किया गया।
अंदर चिंता, बाहर पार्टी लाइन केंद्रीय स्तर पर भाजपा ने ओपीएस मामले में खुलकर अपना रुख जाहिर नहीं किया है लेकिन राज्यों में पार्टी के नेता अंदरखाने ओपीएस मुद्दे पर चुनावी नुकसान होने की आशंका से चिंतित हैं। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कह चुके हैं ओपीएस के कारण पार्टी चुनाव हारी। राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा नेता पार्टी लाइन पर चलते हुए कहते हैं कि यह एक राज्य का मसला नहीं है, पेंशन सिस्टम पर केंद्र सरकार ने कमेटी बनाई है लेकिन निजी बातचीत में स्वीकार करते हैं कि एनपीएस को गारंटीशुदा जरूर बनाया जाना चाहिए। ओपीएस मामले का कोई तोड़ नहीं निकला तो चुनाव में नुकसान होगा।