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CG Culture : प्रकृति और देवताओं के प्रति समर्पण बताते हैं छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, देखें तस्वीरें

Chhattisgarh Art And Culture : छत्तीसगढ़ भारत देश में सबसे प्राचीन और सबसे तेजी से विकासशील राज्यों में से एक है । छत्तीसगढ़ राज्य न केवल अपनी समृद्ध विरासत के लिए लोकप्रिय है।छत्तीसगढ़ राज्य का लोक नृत्य समस्त भारत में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। यहाँ के नृत्य और लोक कथाएँ छत्तीसगढ़ संस्कृति को महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।

Jun 14, 2023 / 04:27 pm

चंदू निर्मलकर

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घुंघरुओं की झनकार, ढोलक की थाप और सामूहिक रूप से एक ही स्वर में गाने को गाकर नाचना कर्मा नृत्य है । गोंड आदिवासी, ग़ैर-आदिवासी, ये सभी का मांगलिक नृत्य है। कर्मा, यानी कर्म का मतलब होता है कि कर्म के देवता को खुश करने के लिए नाच( folk dance) । देश के कई ट्राइब्स में सदियों से कर्मा नृत्य किया जाता रहा है।

 

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डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति( tribe dance) के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है। यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर देखने को मिलता है। डंडारी नृत्य में बांस की खपचियों से एक दुसरे से टकराकर ढोलक एवं तिरली के साथ जुगलबंदी कर नृत्य किया जाता है।

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हुलकी ( Hulki folk dance) नृत्य मुरिया जनजाति का पारंपरिक( cg traditional dance) नृत्य है। इसमें स्त्री-पुरूष दोनों ही शामिल होते हैं। हुलकी नृत्य के बारे में यह मान्यता है कि यह नृत्य देवता लिंगोपेन को समर्पित है।

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सुआ नृत्य (cg folk dance )छत्तीसगढ़ राज्य की स्त्रियों का एक प्रमुख है, जो कि समूह में किया जाता है।उनके सुख-दुख की अभिव्यक्ति और उनके अंगों का लावण्य ‘सुवा नृत्य’ या ‘सुवना’ में देखने को मिलता है।सुआ नृत्य’ का आरंभ दीपावली के दिन से ही हो जाता है। इसके बाद यह नृत्य अगहन मास तक चलता है

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