मालूम हो कि 22 जनवरी को न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों को निर्देशित किया था कि वे संयुक्त तकनीकी टीम गठित करके जलविवाद को हल करने की दिशा में आगे बढ़ें। इसका मकसद था कटरागड्डा और नेयरेड्डी बांधा के मुद्दे पर आपसी बातचीत से हल निकाल कर न्यायाधिकरण के समक्ष हफ्ते भर के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ये बांध आंध्र सरकार ने बनाए हैं। दोनों राज्यों में यह नदी 265 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है। दक्षिण ओडिशा के जिले प्रभावित होने की शिकायत ओडिशा सरकार ने दर्ज कराई थी।
केंद्र की यूपीए सरकार ने दूसरे कार्यकाल में ओडिशा और आंध्र के बीच वंशधारा जल विवाद सुलटाने के लिए न्यायाधिकरण गठन की मंजूरी दी थी। तब से विवाद रेंग रहा है। यह न्यायाधिकरण अंतर्राज्यीय जल विवाद कानून 1956 के तहत गठित किया गया था। सुप्रीमकोर्ट ने फरवरी 2003 को न्यायाधिकरण गठन का आदेश दिया था। इस न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष व दो सदस्य हैं। ओडिशा सरकार ने 1962 में सुप्रीमकोर्ट में वंशधारा के जल बंटवारे और नरेडी बांध निर्माण पर आपत्ति लगाई थी। वंशधारा पर रिजर्वॉयर पर भी उसकी आपत्ति थी।