क्यों मनाया जाता है ब्रह्मोत्सवम पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा भगवान के पवित्र पुश्करणी नदी के जंबले क्षेत्र में मानव जाति के उद्धार के लिए भगवान बालाजी को धन्यवाद दिया था। उनके रूप भगवान वेंकटेश्वर तथा साथियों श्रीदेवी और भुदेवी के साथ भव्य रूप से पूजा थी। उत्सव के नाम की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के नाम से हुई है क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले तिरुपति मंदिर में इस पर्व का आयोजन किया गया था। एक अन्य कथा के अनुसार जब इंद्र ने एक ब्राम्हणी राक्षसी का वध कर दिया था तो इसके कारण उन्हें ब्रम्ह हत्या का दोष लग गया था। इस पाप के कारण देवेंद्र को स्वर्ग का त्याग करना पड़ा। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने ब्रम्हा जी से प्रार्थना की, उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए ब्रम्हा जी ने एक विशेष समारोह का आयोजन किया। इस अनुष्ठान में ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को अपने सर पर उठाकर एक विशेष अनुष्ठान किया। यह अनुष्ठान भगवान विष्णु का पवित्र स्नान था, इस स्नान को अवाबृथा के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मोत्सवम का यह पर्व इसी कथा के ऊपर आधारित है।