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गांवों की सूरत बदल रही महिला जनप्रतिनिधि, लिख रही विकास की नई इबारत, प्रवासियों का भी मिल रहा साथ

महिला सशक्तिकरण: सिरोही जिले के सिलदर ग्राम पंचायत की सरपंच जसीदेवी देवासी से राजस्थान पत्रिका की विशेष बातचीत

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सिरोही जिले के सिलदर ग्राम पंचायत की सरपंच जसीदेवी देवासी

सिरोही जिले के सिलदर ग्राम पंचायत की सरपंच जसीदेवी देवासी

जब से पंचायत राज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है तब से न केवल महिला सशक्त हुई है बल्कि गांवों की तस्वीर भी बदलने लगी है। महिलाएं अब खुद निर्णय लेने में सक्षम बनने लगी है। हालांकि पुराने दौर की कई महिलाएं अधिक पढ़-लिख नहींं सकी बावजूद वे अपने गांव की भलाई के लिए मजबूती से काम कर रही है। कर्नाटक के हुब्बल्ली में एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने आई राजस्थान के सिरोही जिले के सिलदर ग्राम पंचायत की सरपंच जसीदेवी देवासी ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में महिला सशक्तिकरण को लेकर अपनी बात रखी। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

सवाल: राजस्थान के गावों के विकास में प्रवासियों का कितना योगदान है?
सरपंच:
अपनी जन्मभूमि राजस्थान से निकलकर कर्मभूमि कर्नाटक को बनाया। लेकिन प्रवासी आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। कर्नाटक को कर्मभूमि बनाने के बावजूद राजस्थान के लोगों का गांवों के प्रति स्नेह बना हुआ है। कई प्रवासी भी राजस्थान में जनता के सहयोग से जनप्रतिनिधि बने। ऐसे में आज भी कई प्रवासी है जो कर्मभूमि के साथ अपनी जन्मभूमि को भी बखूबी संभाल रहे हैं। कोई प्रवासी गांव के सरपंच के नाते तो कोई जिला परिषद सदस्य व पंचायत समिति सदस्य के नाते अपने इलाके में विकास की इबारत लिख रहे हैं। जब भी प्रवासी अपनी जन्मभूमि पर आते हैं तो वहां छोटे-बड़े विकास कार्य में जरूर सहयोग करते हैं। इस तरह माटी का कर्ज निभा रहेे हैं और गांवों के विकास में सहभागी
बन रहे हैं। प्रवासियों का कोरोना के समय भी सहयोग सराहनीय रहा था।

सवाल: आपके सरपंच के कार्यकाल में ग्राम पंचायत में विकास के प्रमुख कार्य क्या हुए हैं?
सरपंच:
सिरोही जिले के सिलदर ग्राम पंचायत में विकास के खूब काम करवाए गए है। गांव में अस्पताल, स्कूल, सड़कों का निर्माण करवाया गया है। इसके साथ ही कोरोना महामारी के समय क्षेत्र में सहयोग किया गया। सिलदर ग्राम पंचायत में सिलदर के साथ ही रामपुरा व रोड़ा खेड़ा गांव भी शामिल है। इन तीनों गावों में हर गली-चौराहे पर रोड लाइटें लगवाई हैं। इससे गांव रोशन हुए हैं। गांव में अस्पताल का विस्तार होने से आसपास के ग्रामीणों को भी इलाज की सुविधा सुलभ हो सकी है। सिरोही जिले के मडिया निवासी एवं दुबई प्रवासी रायचन्द सोनी के सहयोग से अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूल का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके लिए पंचायत ने पांच बीघा जमीन उपलब्ध करवाई है।

सवाल: गांवों में किस तरह के विकास के काम किए जा सकते हैं?
सरपंच:
अगर कुछ करने का हौसला हो तो गांव की सूरत बदली जा सकती है। गांव में ढांचागत सुविधाएं, जैसे-शहर से जोडऩे वाली सड़कें, पक्के मकान, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल और शौचालय की सुविधा विकसित करने की दिशा में काम किया जा सकता है।

सवाल: महिलाएं राजनीति में कम आ रही है। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए?
सरपंच:
उद्देश्य बेहतर हो तो जनसेवा के लिए राजनीति से बड़ा कोई माध्यम नहीं हो सकता। पंचायत राज में महिलाओं केे लिए सीटें आरक्षित होने से महिलाओं को निश्चित ही आगे बढऩे का अवसर मिला है। इसके बाद से महिलाओं की भागीदारी लगातार होने लगी है।

सवाल: गांवों में बदलाव किस तरह किया जा सकता है?
सरपंच:
अगर सरकारी योजनाओं को सही ढंग से अपनाएं तो गांव खुद ही बदल जाएंगे। बस, दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए। गांव के विकास को लक्ष्य बनाकर यदि काम किया जाएं तो गांवों की कायापलट हो सकती है।

सवाल: आप एक महिला जनप्रतिनिधि हैं। ऐसे में गांवों में महिलाओं की दशा-दिशा में बदलाव के लिए क्या प्रयास किए हैं?
सरपंच
: महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। मैं खुद अधिक पढ़-लिख नहीं सकी लेकिन नई पीढ़ी को मैं पढऩे की लगातार प्रेरणा देती रही हूं। पढ़ी-लिखी महिला अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक रह सकती है। सिलदर गांव में बालिकाओं के लिए अलग से बारहवीं स्कूल होने से बालिकाएं बेहिचक स्कूल जा सकती है।