बच्चों को भीख मांगने से रोकना हम सबकी जिम्मेदारी
बच्चों को भीख मांगने से रोकना हम सबकी जिम्मेदारी
-जिलाधिकारी डॉ. सेल्वमणी ने कहा
शिवमोग्गा
जिलाधिकारी डॉ. सेल्वमणी ने कहा है कि बच्चों को भीख मांगने से रोकना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्हें भीख मांगने से नहीं रोकने पर यह एक सामाजिक समस्या बन जाएगी।
वे शिवमोग्गा में बाल सुरक्षा निदेशालय बेंगलूरु, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, पुलिस विभाग, जिला कानून सेवा प्राधिकरण तथा जिला बाल सुरक्षा इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग शिवमोग्गा के संयुक्त तत्वावधान में शहर के डीएआर सभा भवन में सोमवार को आयोजित बच्चों के भीख मांगने को रोकने के प्रभारी दल के सदस्यों के लिए तथा जिले के सभी थानों के बच्चों के बच्चों के विशेष पुलिस अधिकारियों को बाल भीख रोकथाम एवं पुनर्वास संबंधित प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन कर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कमजोर बच्चे या बच्चों की तस्करी कर लाकर भीख मंगवाने के मामले अधिक होगए हैं। आप जो उस बच्चे पर रहम खाकर भीक देते हैं वह भीख उस बच्चे को नहीं मिलते हैं। बदले में बच्चे जीवन भर भीखारी बनकर ही रहने की सम्भवना अधिक होती हैं। इसके चलते बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए सबको आगे आना चाहिए। इस दिशा में पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग, जिला कानून सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति समेत विविध विभागों के अधिकारियों के लिए बाल भीख रोकथाम एवं पुनर्वास संबंधित प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन करना सराहनीय कार्य है।
बच्चों का भीख मांगना एक गंभीर विषय
जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों का भीख मांगना एक गंभीर विषय है। बच्चों के भीख मांगने की रोकथाम प्रभारी दल के सदस्यों ने आज कार्यशाला में सक्रीय रूप से भाग लेकर कड़ाई से इस समस्या को रोकने में जुटना चाहिए। सरकार ने शिशु मां के गर्भ में रहने के समय से ही उसे पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुरक्षा देने से लेकर बच्चे को 18 वर्ष होने तक आंगनबाडी, पौष्टिक आहार, नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा इस प्रकार बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण विभाग इस प्रकार विविध विभागों की योजनाऐं, कार्यक्रम तथा कानून के जरिए जारी करते आए हैं। एसे हम सभी को बच्चों के अधिकारों का संरक्षण कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना चाहिए।
बच्चे बनेंगे समाजकंठक
जिलाधिकारी ने कहा कि शहर में बच्चों को भीख मांगते तथा बच्चों की तस्करी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बच्चे समाजकंठक बनने से पहले हम लोगों को सजग होकर संविधानिक सभी प्रकार की सुरक्षा, अधिकार तथा सुविधाऐं देने के साथ उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाने का दायित्व हम सब पर है। इस दिशा में हम सभी को कार्यप्रवृत होना चाहिए। भीख मांगने वाले बच्चे दिखाई देने पर बच्चों की हेल्पलाइन नंबर 1098 को संपर्क कर जरा सी मदद करनी चाहिए। जिले को भीख मांगने वालों से मुक्त जिला बनाने में सबको सहयोग देना चाहिए।
बच्चे ही हमारे देश का भविष्य
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं जिला कानून सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजण्णा संकण्णवर ने कहा कि बच्चे ही हमारे देश का भविष्य हैं। कमजोर वर्ग के बच्चों को गलत कार्यों से रोकना हमारी जिम्मेदारी है। बच्चों के भीख मांगने को लेकर कोई भी सूचना मिलने पर संबंधित अधिकारियों को बिना रुके कार्यप्रवृत होना चाहिए। एसा करने पर मात्र बच्चों को भीख मांगने से तथा बच्चों की तस्करी को रोका जासकता है। बच्चों की रक्षा को संबंधित कानून की मदद की जरूरत पडने पर जिला कानून सेवा प्राधिकरण सदा तैयार है, उसकी मदद लेनी चाहिए।
जिला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विक्रम आमटे ने कहा कि करने की इच्छा हों तो कुछ भी करसकते हैं। जिले को भीख मांगने से मुक्त करने की इच्छा अधिकारी दल को करना चाहिए। उसके लिए आवश्यक योजना तैयार कर मानवता के मूल्यों के आधार पर कार्रवाई करने पर अर्थपूर्ण नतीजे मिलते हैं। अधिकारी दल तथा आमजन बच्चों के अधिकारों की रक्षा, बच्चों के भीख मांगने के संवेदनाओं को समझ कर इसकी रोकथाम के लिए अभियान तौरपर कार्यप्रवृत होना चाहिए।
बच्चों की कल्याण समिति की अध्यक्ष रेखा बी.एम. ने कहा कि बाल न्याय विधेयक अनुसार बच्चों का भीख मांगना घोर अपराध है। 7 वर्ष का कारावार, 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। बच्चों को विकलांग कर भीख मंगवाने पर उम्र कैद की सजा तथा जुर्माना लगाया जाता है। कमजोर वर्ग के बच्चे, महिलाएं अगर भीख मांगते हुए दिखाई देने पर उन पर रहम करने के बजाए उन्हें बारिकी से निगरानी कर पुलिस, बच्चों की कल्याण समिति या बाल हेल्पलाइन नंबर 1098 को संपर्क कर कानूनी मदद दिलवानी चाहिए। उन्हें अस्थाई राहत गृह में रख कर पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। भीख मांगने को एक छोटा विचार नहीं समझना चाहिए। पुलिस विभाग को बिना वारंट के एसे लोगों को गिरफ्तार कर कार्रवाई करने का विशेष अधिकार होता है जिसका सदुपयोग होना चाहिए।
समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक नागराज के. ने बच्चों का पुनर्वास को लेकर समाज कल्याण विभाग की भूमिका पर विस्तार से बताया। शहरी विकास कोश के योजना निदेशक मूकप्पा करिभीमण्णवर, आरसीएचओ डॉ. नागराज नायक आदि उपस्थित थे।
जिला बाल सुरक्षा इकाई की रक्षा अधिकारी गायत्री डी.एस. ने संसाधन व्यक्ति के रूप में भाग लेकर बच्चों के भीख मांगने की रोकथाम संबंधित विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर बाल भीख रोकथाम संबंधित पर्चे विमोचन किया। महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक सुरेश जीजी ने स्वागत किया। जिला बाल रक्षा इकाई के रक्षा अधिकारी गणेश एच. ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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