एक चित्र होता है जब तैयार
जब डालता है उसमें जान कलाकार
सुन्दर कलाकृति बनाने में
कर देता हैं दिन-रात एक
मेहनत उसकी नहीं जाती है बेकार
फिर भी उसके दिल में रहती हैं हलचल
बारी जब आती हैं हस्ताक्षर की
तब कांपने लगते हैं उसके हाथ
शायद मन में यही उधेड़बुन
कि कलाकृति तो होनी है पराई
हर किसी के मन में शायद यह सोच नहीं
लेकिन मैं हूं एक कलाकार
मेरे मन में यह सोच आई
यही तो हैं सोच एक कलाकार की
सोच एक कलाकार की।।
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