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घट रही मवेशियों की संख्या, किसान चारा कम उगा रहे, धान की खेती का रकबा घटा

दक्षिण कन्नड़ जिला: देशी नस्ल की जगह संकर नस्ल ले रही

हुबलीSep 19, 2024 / 07:23 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

घट रही मवेशियों की संख्या

दक्षिण कन्नड़ जिले में मवेशियों की संख्या पिछले कुछ सालों में घट रही है। जिले में धान की खेती का रकबा घटकर 9,390 हेक्टेयर रह गया है। युवा डेयरी फार्मिंग के प्रति अधिक उत्सुक नहीं हैं। दक्षिण कन्नड़ सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अनुसार दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में प्रतिदिन कुल दूध की खरीद 3,91367 लीटर है लेकिन बरसात के मौसम में उत्पादन में करीब 40 से 45 हजार लीटर की कमी आ जाती है। संघ हासन, शिवमोग्गा और मांड्या समेत अन्य संघों से करीब एक लाख लीटर दूध खरीद रहा है।
देशी नस्ल की जगह संकर नस्ल
आंकड़ों के अनुसार, देशी नस्लों की जगह धीरे-धीरे संकर नस्ल के मवेशी ले रहे हैं। पहले बड़ी जमीन वाले अविभाजित परिवार होते थे। अब स्थिति अलग है। किसान चारा नहीं उगा रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों से खरीद रहे हैं। इससे दूध की उत्पादन लागत बढ़ जाती है। अधिकारी धान की खेती में कमी को भी इसका कारण मानते हैं।
और गिरावट की उम्मीद
2012 की पशुधन जनगणना के अनुसार, जिले में 2,57,415 मवेशी जिसमें देशी, संकर नस्ल की गाय और भैंसें थी। हालांकि 2019 की जनगणना में यह संख्या घटकर 2,52,401 रह गई। पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस महीने शुरू हुए 2024 के सर्वेक्षण में संख्या में और गिरावट आने की उम्मीद है।
आंकड़े एक नजर में

जिले में 2007 में 2,29,838 देशी नस्ल के पशु थे, जो 2012 में घटकर 1,13,747 और 2019 में 65,997 रह गए

2007 में जिले में 1,66,771 संकर नस्ल की गायें थीं, जो 2019 में बढ़कर 1,84,572 हो गई
जिले में 2007 में 15,119 भैंसें थीं लेकिन 2012 में यह घटकर 3,700 और 2019 की जनगणना में 1,832 रह गई

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