सम्मान के साथ बढ़ी जिम्मेदारी
इस अवसर पर आचार्य जितरत्नसागर सूरीश्वर ने कहा, हम वफादारी के साथ काम करें। इस सम्मान के साथ आपकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। सबसे बड़ा गुण यदि कोई हैं तो वह कृतज्ञता का है। इन उपकारों को कभी भूलना नहीं। भगवान से यही प्रार्थना करना कि प्रभु मुझे भी ऐसा बना कि मैं भी कुछ दे सकूं। आचार्य ने कहा, कब किसका दिल बदल जाएं, कुछ पता नहीं चलता। इस सम्मान के पीछे का भाव यही है कि हम संघ की सेवा करें। आप सारे काम विधि-विधान से करते हैं, इसलिए आपका सम्मान हुआ है।
इस अवसर पर आचार्य जितरत्नसागर सूरीश्वर ने कहा, हम वफादारी के साथ काम करें। इस सम्मान के साथ आपकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। सबसे बड़ा गुण यदि कोई हैं तो वह कृतज्ञता का है। इन उपकारों को कभी भूलना नहीं। भगवान से यही प्रार्थना करना कि प्रभु मुझे भी ऐसा बना कि मैं भी कुछ दे सकूं। आचार्य ने कहा, कब किसका दिल बदल जाएं, कुछ पता नहीं चलता। इस सम्मान के पीछे का भाव यही है कि हम संघ की सेवा करें। आप सारे काम विधि-विधान से करते हैं, इसलिए आपका सम्मान हुआ है।
15 वें वर्ष में प्रवेश
श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की अध्यक्ष मंजू मांडौत रेवतड़ा ने कहा, हमारी समिति पिछले 14 वर्ष से सेवा कर रही है और अब 15 वें वर्ष में प्रवेश किया है। इस आयोजन को अनूठा बनाने के लिए हमने साध्वी भव्यपूर्णाश्री के समक्ष अपनी विनती रखी थी। तब साध्वी भव्यपूर्णाश्री ने श्रीसंघ के सभी जिनालयों, उपासरों एवं आयंबिल खाते में कार्यरत सभी कर्मचारियों का सम्मान करने की प्रेरणा दी। इसी सोच के साथ हमने इस कार्यक्रम का आयोजन रखा। ऐसे में आज आचार्य एवं साध्वी भगवंत की निश्रा में यह आयोजन रखा। समिति की ओर से इससे पहले भी सेवा के कई कार्य किए हैं और लगातार किए जा रहे हैं।
श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की अध्यक्ष मंजू मांडौत रेवतड़ा ने कहा, हमारी समिति पिछले 14 वर्ष से सेवा कर रही है और अब 15 वें वर्ष में प्रवेश किया है। इस आयोजन को अनूठा बनाने के लिए हमने साध्वी भव्यपूर्णाश्री के समक्ष अपनी विनती रखी थी। तब साध्वी भव्यपूर्णाश्री ने श्रीसंघ के सभी जिनालयों, उपासरों एवं आयंबिल खाते में कार्यरत सभी कर्मचारियों का सम्मान करने की प्रेरणा दी। इसी सोच के साथ हमने इस कार्यक्रम का आयोजन रखा। ऐसे में आज आचार्य एवं साध्वी भगवंत की निश्रा में यह आयोजन रखा। समिति की ओर से इससे पहले भी सेवा के कई कार्य किए हैं और लगातार किए जा रहे हैं।
भाव गीत प्रस्तुत
इस अवसर पर श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की सदस्यों के साथ ही शहर के विभिन्न संघों के पदाधिकारियों ने विभिन्न जिनालयों, उपासरों एवं आयंबिल खाते में कार्यरत कर्मचारियो का सम्मान किया। समारोह के प्रारम्भ में श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की अध्यक्ष मंजू मांडौत रेवतड़ा एवं सपना भंसाली ने नवकार मंत्र की प्रस्तुति दी। जिनशासन के वीरों को वंदन हैं, अभिनंदन हैं…भाव गीत प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संघों के पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। समारोह का संचालन नीतू भंसाली अजीत एवं अरूणा डूमावत ने किया। दीप प्रज्ज्वलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई।
इस अवसर पर श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की सदस्यों के साथ ही शहर के विभिन्न संघों के पदाधिकारियों ने विभिन्न जिनालयों, उपासरों एवं आयंबिल खाते में कार्यरत कर्मचारियो का सम्मान किया। समारोह के प्रारम्भ में श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की अध्यक्ष मंजू मांडौत रेवतड़ा एवं सपना भंसाली ने नवकार मंत्र की प्रस्तुति दी। जिनशासन के वीरों को वंदन हैं, अभिनंदन हैं…भाव गीत प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संघों के पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। समारोह का संचालन नीतू भंसाली अजीत एवं अरूणा डूमावत ने किया। दीप प्रज्ज्वलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई।
आवश्यक सामग्री का वितरण
इस अवसर पर प्रियदर्शिनी मूक-बधिर आवासीय विद्यालय के बच्चों के लिए पेयजल मशीन उपलब्ध करवाई गई। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका गीता डी. मेचनवर ने मूक-बधिर आवासीय विद्यालय की सेवा के लिए समिति का आभार जताया। समारोह में मूक-बधिर आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी भी मौजूद थे। श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की ओर से इससे पहले भी विभिन्न दिव्यांग संस्थानों के लिए आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया है।
इस अवसर पर प्रियदर्शिनी मूक-बधिर आवासीय विद्यालय के बच्चों के लिए पेयजल मशीन उपलब्ध करवाई गई। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका गीता डी. मेचनवर ने मूक-बधिर आवासीय विद्यालय की सेवा के लिए समिति का आभार जताया। समारोह में मूक-बधिर आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी भी मौजूद थे। श्री मरुदेवा जैन सेवा समिति की ओर से इससे पहले भी विभिन्न दिव्यांग संस्थानों के लिए आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया है।