वे रविवार को शहर के एपीएमसी के सामने ईश्वर नगर में आयोजित श्रीगंगा आरोग्य महामने एवं भारतीय परंपरा वैद्य परिषद के स्थापना कार्यक्रम का उद्घाटन कर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए। इसमें पेश आने वाली बाधा को दूर करने की जरूरत है। इस बारे में व्यापक जानकारी जुटाकर इसे विधानसभा में प्रस्तावित किया जाएगा।
श्रीगंगा आरोग्य महामने के संस्थापक वैद्य चन्नबसवन्ना ने कहा कि हम दशकों से योग और पारंपरिक चिकित्सा को अपना रहे हैं। भारत ने पारंपरिक चिकित्सा को केवल अध्ययन कर के पहचान नहीं बनाई। इसके बजाय, यह वह भूमि है जिसने इसे आध्यात्मिक आधार बनाया है। देश में पहले भी कई युद्ध हुए। उस समय सैनिकों और लोगों को कुछ भी हो पारंपरिक चिकित्सक ही इलाज करते थे। उनमें युद्ध जैसी स्थिति में भी व्यक्ति को पल भर में ठीक करने की ताकत थी। आज पारंपरिक चिकित्सकों को अपने अधिकारों के लिए लडऩे की दयनीय स्थिति आ गई है। हमें अपना आधार बनाए रखने के लिए संघर्ष करना होगा। चीन जैसे दुनिया के कई उन्नत देशों में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। रसायन मुक्त दवा का प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में भी इसे महत्व मिलना चाहिए। कानूनी लड़ाई लडक़र अपना अधिकार को प्राप्त करना होगा। बैलूर निष्कल मंडप के निजगुणानंद स्वामी ने विचार व्यक्त किया। बसव कल्याण के नीलांबिका बसव योग केंद्र के सिद्धरामेश्वर शरण, रोण के जमात इस्लामी हिंद के मौलाना रियाज अहमद, धारवाड़ सेंट जोसेफ हाई स्कूल के प्राचार्य फादर माइकल डिसूजा, भारत सेवा ट्रस्ट के श्रीकांत दुंडीगौडर, महानगर निगम पार्षद मल्लिकार्जुन गुंडूर, पंचाक्षरी पंचय्यनवरमठ, डॉ. चंद्रमौली नायकर, भारतीय पारंपरिक वैद्य परिषद की संस्थापक ज्योति चन्नबसवन्ना और अन्य उपस्थित थे।