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हुबली

केन्द्र की जनविरोधी नीतियों के विरोध में आन्दोलन करेंगे रेलकर्मी

एसडब्ल्यूआरईयू ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का संकल्प दोहराया

हुबलीOct 18, 2024 / 01:10 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

यूनियन चुनाव को लेकर रेलवे अधिकारी को नामांंकन पत्र सौंपते एसडब्ल्यूआरईयू के सदस्य।

यूनियन चुनाव को लेकर रेलवे अधिकारी को नामांंकन पत्र सौंपते एसडब्ल्यूआरईयू के सदस्य।

एआईयूटीयूसी से संबद्ध दक्षिण पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ (एसडब्ल्यूआरईयू) पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए संघर्ष करेगा। इसके साथ ही आठवीं सीपीसी तुरंत स्थापित करने तथा पूर्ववर्ती डी की सभी रिक्तियों को तुरंत भरने के लिए प्रयास करेगा। महासचिव कॉमरेड एम.बी. ताइदास ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों, सरकारी कर्मचारियों के लिए कोविड महामारी अवधि के दौरान यात्रा रियायत सहित सभी प्रकार की रियायतें बहाल करने की दिशा में काम किया जाएगा। पेंशनभोगियों का 18 महीने का डीए-डीआर बकाया जारी करने, छठे सीपीसी और न्यायालय के निर्देश अनुशंसा के अनुसार पेंशन अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष करने जैसी मांगों को पूरा करने के लिए भी संगठन प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक मजबूत रेलकर्मी आंदोलन खड़ा कर संघर्ष को मजबूत किया जाएं। एआईयूटीयूसी से संबद्ध दक्षिण पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ ने रेलवे यूनियन चुनाव को लेकर यहां हुब्बल्ली में अपना नामांकन पत्र पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक व निर्वाचन अधिकारी को सौंपा। इस अवसर पर केशवपुर मंडल से महाप्रबंधक कार्यालय तक जुलूस निकालकर नामांकन पत्र जमा करवाया गया।
रेलवे को कॉमर्शियल सेक्टर में तब्दील करने का आरोप
इस अवसर पर जोन अध्यक्ष कामरेड के. सोमशेखर ने कहा कि आर्थिक सुधारों के नाम पर केंद्र सरकार ने शासक पूंजीपति वर्ग के हितों की रक्षा करते हुए देश के श्रमिकों और आम लोगों की इच्छाओं के खिलाफ रेलवे पर पूर्ण पैमाने पर निजीकरण हमला शुरू कर दिया है। इसके तहत रेलकर्मियों के हित के खिलाफ कानून लागू किए जा रहे हैं।
निजीकरण की प्रक्रिया 1991 में नई आर्थिक नीति के कार्यान्वयन के साथ शुरू हुई और वह दिन दूर नहीं जब अधिकतम रेलवे क्षेत्र को लाभ के भूखे पूंजीवादी घरानों को संतुष्ट करने के लिए सौंप दिया जाएगा। रेलवे सेक्टर, जो अब तक सर्विस सेक्टर था, धीरे-धीरे कॉमर्शियल सेक्टर में बदलता जा रहा है। इसका एक निश्चित परिणाम यह हो रहा है कि रेल सेवाएँ महंगी होती जा रही हैं। वहीं कई रियायतें और कई सुविधाएं पहले ही वापस ली जा चुकी हैं। रेल दुर्घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। रेलवे में स्थाई नौकरियां खत्म की जा रही हैं। मौजूदा कर्मचारी अपनी मेहनत की कमाई पुरानी पेंशन योजना और कई अन्य अधिकार खो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में वे शासक पूंजीपति वर्ग की गिरफ्त में आ रहे हैं।
कर्मचारी विरोधी नीतियां स्वीकार नहीं
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि वर्तमान सत्तारूढ़ राष्ट्रीय नेतृत्व ने यूपीएस का समर्थन करके कर्मचारियों के हितों को त्याग दिया। इससे पहले भी कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करते हुए एनपीएस को स्वीकार कर लिया था। इससे पता चलता है कि स्थापित यूनियन नेतृत्व सरकार के साथ मिलकर कर्मचारियों के हितों के खिलाफ ऐसी कर्मचारी विरोधी नीतियों का समर्थन कर रहा है। इस नेतृत्व के असली चेहरे को पहचानना श्रमिक आंदोलन के हित में महत्वपूर्ण है। एनपीएस-यूपीएस के स्थान पर ओपीएस को पुन: लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष को मजबूत करने के लिए कोई समझौता नहीं आंदोलन को मजबूत किया जाना चाहिए। इसी तरह उन्होंने ट्रेड यूनियन आंदोलन में सही सोच रखने वाले और बदलाव चाहने वाले सभी लोगों से किसी भी प्रकार के अवसरवादियों को अनुमति दिए बिना संगठन के साथ हाथ मिलाने की अपील की।
निजीकरण से बचाने के लिए आन्दोलन
कार्यकारी अध्यक्ष कॉमरेड गुडप्पा ने कहा कि उन्हें रेलवे कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए रेलवे यूनियन चुनाव में दक्षिण पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ के पक्ष में मतदान करना चाहिए और रेलवे को निजीकरण से बचाने के लिए एक समझौताहीन आंदोलन बनाना चाहिए। इस दौरान राजीव कुमार, यशवन्त, किरण कुमार, विजय कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।

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