हुबली

2500 एकड़ जमीन पर 1500 से ज्यादा किसान उगा रहे विदेशी फल

कर्नाटक में लगभग 64 प्रकार के विदेशी फलों की खेती, फलों के उत्पादन में बढ़ोतरी, बढ़ रही विदेशी फलों की खपत

हुबलीOct 22, 2024 / 04:06 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

कर्नाटक में लगभग 64 प्रकार के विदेशी फलों की खेती, फलों के उत्पादन में बढ़ोतरी, बढ़ रही विदेशी फलों की खपत

कर्नाटक में विदेशी फलों की खेती ने जोर पकड़ा है, जिससे देश को ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो, रामबुतान, मैंगोस्टीन के आयात के लिए विदेशी बाजारों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिली है। ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो अब देशी फलों व फसलों अनार, चीकू, आम, प्याज, टमाटर को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बागवानी विभाग के अनुसार कर्नाटक के किसान विदेशी फलों की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि स्थानीय फल कीटों के हमलों और जलवायु संबंधी अनिश्चितताओं के प्रति संवेदनशील हैं। मध्य कर्नाटक और लाल मिट्टी वाले कृषि क्षेत्र उष्णकटिबंधीय विदेशी फलों के लिए आदर्श हैं, जिन्हें न्यूनतम पानी और रखरखाव की आवश्यकता होती है। विदेशी फलों से किसानों को अधिक लाभ भी मिल रहा है। राज्य में केवल लीची की खेती कम हो रही है, क्योंकि इस फल के लिए अनुकूल जलवायु परिस्थितियां नहीं हैं। हालांकि विदेशी फलों की बिक्री करने वाले किसानों के पास फलों की लंबी उम्र बढ़ाने के लिए जानकारी और तकनीक का अभाव है।
सालाना 200 हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ा
कर्नाटक में लगभग 64 प्रकार के विदेशी फलों की खेती की जाती है जिनमें ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो, रामबुतान, मैंगोस्टीन और लीची सबसे अधिक मांग में हैं। विभाग ने केवल तीन विदेशी फलों-लीची, ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो की खेती के क्षेत्र को दर्ज किया है। डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में इनका कवरेज सालाना 200 हेक्टेयर बढ़ा है। दक्षिण मैक्सिको में इसकी उत्पत्ति के साथ लगभग सभी जिलों में लगभग 431 हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है, जो पिछले साल से 207 हेक्टेयर अधिक है। इसी तरह एवोकाडो की खेती 199 हेक्टेयर भूमि पर की जा रही है।
जागरुकता पैदा करने का प्रयास
कर्नाटक में करीब 2500 एकड़ जमीन पर 1500 से ज्यादा किसान विदेशी फल उगा रहे हैं। इन फलों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है, जिससे आयात लागत कम हुई है। इन फलों के पोषण मूल्य के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरुकता पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय किसानों की मदद करने के लिए उन्हें आयातित फलों की बजाय स्थानीय रूप से उगाए गए विदेशी फलों का सेवन करने का आग्रह भी किया जा रहा है।
ड्रैगन फ्रूट बन रहा लाभ का सौदा
कर्नाटक विदेशी-फल किसान संघ के पदाधिकारियों का दावा है कि विदेशी फलों का आयात काफी कम हो गया है, जो सालाना लगभग 50 हजार मीट्रिक टन से घटकर लगभग 10 हजार मीट्रिक टन रह गया है। बागवानी विभाग ने माना है कि स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले विदेशी फलों की खपत बढ़ रही है। राज्य ने 2022-23 में 4501 मीट्रिक टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किया, जिससे किसानों को 43.68 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जबकि एवोकाडो किसानों ने 1887 मीट्रिक टन का उत्पादन किया और उसी वर्ष 19 करोड़ रुपए कमाए।

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