मंदिर का नवीनीकरण
कुछ वर्ष पहले ही मंदिर का नवीनीकरण करवाया गया है। मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के पास ही शांतिनाथ भगवान, अजीतनाथ भगवान, महावीर स्वामी, सांवलिया पार्श्वनाथ भगवान, शांतिनाथ भगवान की छोटी प्रतिमा, पदम प्रभु समेत अन्य प्रतिमाएं मार्बल से बनी हुई है। प्रतिमाओं के साथ ही समूचा मंदिर मार्बल से बनवाया गया है। मंदिर के आंतरिक हिस्से में भी मार्बल को बारीकी से उकेरा गया है। मंदिर में दरवाजे के पास सोने की फिनिशिंग की गई है। मंदिर में कई जगह बेहतरीन पेंटिंग उकेरी गई है। मंदिर में रोजाना भगवान का अभिषेक, पूजा समेत अन्य धार्मिक आयोजन होते हैं। मंदिर में शत्रुंजय, गिरनार, देलवाड़ा आबू, पावापुरी, सम्मेत शिखरजी, अष्टापद के पट बने हुए हैं। पहली मंजिल पर ही पार्श्वनाथ के दस भव में उनका पट है।
कुछ वर्ष पहले ही मंदिर का नवीनीकरण करवाया गया है। मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के पास ही शांतिनाथ भगवान, अजीतनाथ भगवान, महावीर स्वामी, सांवलिया पार्श्वनाथ भगवान, शांतिनाथ भगवान की छोटी प्रतिमा, पदम प्रभु समेत अन्य प्रतिमाएं मार्बल से बनी हुई है। प्रतिमाओं के साथ ही समूचा मंदिर मार्बल से बनवाया गया है। मंदिर के आंतरिक हिस्से में भी मार्बल को बारीकी से उकेरा गया है। मंदिर में दरवाजे के पास सोने की फिनिशिंग की गई है। मंदिर में कई जगह बेहतरीन पेंटिंग उकेरी गई है। मंदिर में रोजाना भगवान का अभिषेक, पूजा समेत अन्य धार्मिक आयोजन होते हैं। मंदिर में शत्रुंजय, गिरनार, देलवाड़ा आबू, पावापुरी, सम्मेत शिखरजी, अष्टापद के पट बने हुए हैं। पहली मंजिल पर ही पार्श्वनाथ के दस भव में उनका पट है।
मंदिर के ऊपर तीन शिखर
मंदिर के ऊपर तीन शिखर है। संभवत दक्षिण भारत का पहला ऐसा मंदिर है। कर्नाटक में एक शताब्दी पुराने गिने-चुने मंदिर ही है। बेंगलूरु के चिकपेट में आदिनाथ भगवान का करीब 107 साल पुराना मंदिर है वहीं हुब्बल्ली में शांतिनाथ भगवान का 103 साल पुराना मंदिर है। मैसूरु में सुमतिनाथ भगवान का करीब 98 साल पुराना मंदिर बताया जाता है। विजयपुर में भी करीब 96 साल पुराना मंदिर है।
मंदिर के ऊपर तीन शिखर है। संभवत दक्षिण भारत का पहला ऐसा मंदिर है। कर्नाटक में एक शताब्दी पुराने गिने-चुने मंदिर ही है। बेंगलूरु के चिकपेट में आदिनाथ भगवान का करीब 107 साल पुराना मंदिर है वहीं हुब्बल्ली में शांतिनाथ भगवान का 103 साल पुराना मंदिर है। मैसूरु में सुमतिनाथ भगवान का करीब 98 साल पुराना मंदिर बताया जाता है। विजयपुर में भी करीब 96 साल पुराना मंदिर है।
ध्वजारोहण 6 जून को
मंदिर के सौ साल पूरे होने के मौके पर पंचान्हिका महोत्सव 2 जून 2025 से आयोजित किए जाएगा जो 6 जून तक चलेगा। इस दौरान रोजाना पूजा, भक्तामर, भक्ति संध्या समेत अन्य धार्मिक आयोजन होंगे। अंतिम दिन 6 जून को ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा। पंचान्हिका महोत्सव को लेकर तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। बाहर से आने वाले भक्तों के लिए आवास, भोजन समेत अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी।
मंदिर के सौ साल पूरे होने के मौके पर पंचान्हिका महोत्सव 2 जून 2025 से आयोजित किए जाएगा जो 6 जून तक चलेगा। इस दौरान रोजाना पूजा, भक्तामर, भक्ति संध्या समेत अन्य धार्मिक आयोजन होंगे। अंतिम दिन 6 जून को ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा। पंचान्हिका महोत्सव को लेकर तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। बाहर से आने वाले भक्तों के लिए आवास, भोजन समेत अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी।
तैयारियां शुरू
श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर संघ बल्लारी के अध्यक्ष उत्सव लाल बागरेचा सिवाना, उपाध्यक्ष सूरजमल दांतेवाडिय़ा आहोर, सचिव रोशनलाल बरलूट, संयुक्त सचिव अनील बागरेचा सिवाना एवं भरत लूंकड़ सिवाना, कोषाध्यक्ष गौतम भोजानी सिवाना, सह कोषाध्यक्ष कीर्ति कुमार मरडिया जावाल एवं प्रकाश जैन हरजी के साथ ही कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण चन्द बागरेचा, सूरजमल बागरेचा, केवलचन्द विनायका, रमेश धोका, हरीश श्रीश्रीमाल, विनोद बागरेचा, महेन्द्र कुमार, संजय कुमार मेहता, राजमल, संघवी कांतिलाल, प्रकाश मेहता, प्रवीण गोठी एवं सुरेश डोसी चौपड़ा समेत अन्य गणमान्य लोग तैयारियों में लगे हुए हैं।
श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर संघ बल्लारी के अध्यक्ष उत्सव लाल बागरेचा सिवाना, उपाध्यक्ष सूरजमल दांतेवाडिय़ा आहोर, सचिव रोशनलाल बरलूट, संयुक्त सचिव अनील बागरेचा सिवाना एवं भरत लूंकड़ सिवाना, कोषाध्यक्ष गौतम भोजानी सिवाना, सह कोषाध्यक्ष कीर्ति कुमार मरडिया जावाल एवं प्रकाश जैन हरजी के साथ ही कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण चन्द बागरेचा, सूरजमल बागरेचा, केवलचन्द विनायका, रमेश धोका, हरीश श्रीश्रीमाल, विनोद बागरेचा, महेन्द्र कुमार, संजय कुमार मेहता, राजमल, संघवी कांतिलाल, प्रकाश मेहता, प्रवीण गोठी एवं सुरेश डोसी चौपड़ा समेत अन्य गणमान्य लोग तैयारियों में लगे हुए हैं।