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कर्नाटक के अधिकांश विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता की सीटें खाली, कोविड के बाद से हालात खराब

छात्रों की कमी के चलते पाठ्यक्रम बन्द होने के कगार पर, मेंगलौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता पाठ्यक्रम में इस साल एक भी आवेदन नहीं

हुबलीOct 27, 2024 / 02:10 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

गणपति गांगोली, वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व अध्यक्ष, कर्नाटक यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट, धारवाड़ जिला।

गणपति गांगोली, वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व अध्यक्ष, कर्नाटक यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट, धारवाड़ जिला।

पत्रकारिता के प्रति छात्रों की रुचि घट रही है। कर्नाटक के अधिकांश विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता की सीटें नहीं भर पा रही है। कोविड के बाद से हालात और खराब हुए हैं। छात्रों की कमी के चलते पाठ्यक्रम बन्द होने की कगार पर है। मेंगलौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता पाठ्यक्रम में इस साल एक भी आवेदन नहीं आया है। कई विश्वविद्यालय अतिथि व्याख्याताओं के भरोसे चल रहे हैं। पिछले 20 वर्षों से राज्य के विश्वविद्यालयों में शायद ही कोई नई भर्ती हुई हो। सेवानिवृत्त प्रोफेसरों की जगह कोई और नहीं ले रहा है। खराब दाखिले केवल सरकारी विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं हैं। पिछले वर्षों में कई निजी संस्थान भी बन्द करने पड़े। टुमकुर विश्वविद्यालय, दावणगेरे विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय धारवाड़ और बेंगलूरु केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी पिछले चार वर्षों में सीटों का पूरा कोटा नहीं भरा जा सका है। हालांकि मैसूर विश्वविद्यालय एक अपवाद है। कर्नाटक के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में अंतिम तिथि से पहले ही 30 में से 28 सीटें पहले ही भर चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस पाठ्यक्रम के लिए आवेदनों की संख्या में कमी आई है। शिक्षकों की भर्ती न होना भी आवेदनों में कमी का एक कारण है।
पाठ्यक्रम अस्थाई रूप से बन्द
मैंगलोर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग करीब साढ़े तीन दशक पहले शुरू हुआ था। हालात यह है कि इस साल एक भी आवेदन नहीं मिला है। पिछले तीन-चार वर्षों से इसमें 10 से भी कम छात्रों का प्रवेश हुआ था। नतीजतन विश्वविद्यालय ने इस शैक्षणिक वर्ष में अस्थाई रूप से पाठ्यक्रम बंद कर दिया है। पिछले साल केवल तीन छात्रों ने प्रवेश लिया था। आवेदन जमा करने की समय सीमा बढ़ाने के बावजूद एक भी आवेदन नहीं मिला।
पहले सीट की मारामारी, अब आवेदन का टोटा
कर्नाटक विश्वविद्यालय धारवाड़ में महामारी से पहले मास कम्युनिकेशन और पत्रकारिता पाठ्यक्रम के लिए 250 से 300 आवेदन मिलते थे। अब यह घटकर 75 आवेदन रह गए हैं, जिसमें केवल 25 छात्र प्रवेश परीक्षा दे रहे हैं। पिछले साल 14 छात्र थे और इस साल अब तक चार छात्रों ने प्रवेश लिया है। विश्वविद्यालय ने प्रवेश की अंतिम तिथि नवंबर तक बढ़ा दी है। एक दशक पहले इस पाठ्यक्रम में सीट पाना मुश्किल हुआ करता था।
पत्रकारिता में अवसरों की कमी, पाठ्यक्रम के अपडेट की जरूरत

कर्नाटक यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट धारवाड़ जिला के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार गणपति गांगोली कहते हैं, कर्नाटक में संचालित विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता पाठ्यक्रमों में प्रवेश में कमी देखी जा रही है, जिनमें से कुछ ने छात्रों की कमी के कारण पाठ्यक्रम बंद कर दिया है या बंद करने के कगार पर हैं। विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की नई भर्ती में देरी, पत्रकारिता में अवसरों की कमी, मौजूदा जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम का अपडेट नहीं होना समेत कुछ ऐसे कारण हैं जिनके चलते विद्यार्थी आवेदन कम कर रहे हैं। ऐसे में साल दर साल पाठ्यक्रमों के लिए आवेदनों की संख्या में गिरावट आ रही है। इसके अलावा कई मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म के आने से समाचारों के उपभोग का तरीका बदल गया है। इसके साथ ही प्रिन्ट के बजाय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ छात्रों का झुकाव अधिक देखा जा रहा है।

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