औसत से अधिक बारिश
इस वर्ष दक्षिण कन्नड़ में जनवरी से अब तक औसतन 4371.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य वर्षा 3783.9 मिमी होती है। पिछले साल कम बारिश के कारण बागानों पर बीमारी का असर नहीं हुआ था। 2018 में लगभग 33,350 हेक्टेयर क्षेत्र में कोलेरोगा का प्रकोप था और सरकार को 60 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग करते हुए प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
इस वर्ष दक्षिण कन्नड़ में जनवरी से अब तक औसतन 4371.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य वर्षा 3783.9 मिमी होती है। पिछले साल कम बारिश के कारण बागानों पर बीमारी का असर नहीं हुआ था। 2018 में लगभग 33,350 हेक्टेयर क्षेत्र में कोलेरोगा का प्रकोप था और सरकार को 60 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग करते हुए प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
किसानों को नुकसान
किसान आमतौर पर मानसून की शुरुआत से पहले और बाद में जुलाई में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करते हैं। हालांकि जुलाई और अगस्त में लगातार बारिश के कारण वे मिश्रण का छिड़काव नहीं कर सके। अगस्त के बाद भी बारिश जारी रही। एक किसान ने कहा कि इस साल किसानों को भारी फसल नुकसान हुआ है।
किसान आमतौर पर मानसून की शुरुआत से पहले और बाद में जुलाई में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करते हैं। हालांकि जुलाई और अगस्त में लगातार बारिश के कारण वे मिश्रण का छिड़काव नहीं कर सके। अगस्त के बाद भी बारिश जारी रही। एक किसान ने कहा कि इस साल किसानों को भारी फसल नुकसान हुआ है।
फसल बीमा योजना के तहत कवर
बागवानी विभाग का दावा है कि सुपारी की फसल मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत कवर की जाती है लेकिन हम सरकार से प्राकृतिक आपदा राहत कोष के तहत मुआवजा जारी करने का आग्रह कर रहे हैं। उन्हें हर साल 6-7 लाख रुपए की वार्षिक आय होती थी लेकिन कम उपज के कारण इस बार यह काफी कम है।
बागवानी विभाग का दावा है कि सुपारी की फसल मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत कवर की जाती है लेकिन हम सरकार से प्राकृतिक आपदा राहत कोष के तहत मुआवजा जारी करने का आग्रह कर रहे हैं। उन्हें हर साल 6-7 लाख रुपए की वार्षिक आय होती थी लेकिन कम उपज के कारण इस बार यह काफी कम है।