जनप्रतिनिधियों का स्वागत
राजपूत समाज होसपेट के अध्यक्ष चंदनसिंह भाटी सावरड़ा ने बताया कि धार्मिक कार्य के साथ ही सामाजिक कार्य में भी समाज सदैव आगे रहता है। समय-समय पर समाज की मीटिंग का आयोजन किया जाता है। दिवाली, होली समेत अन्य पर्व-त्योहार भी समाज के लोग उमंग व उत्साह के साथ मनाते हैं। राजस्थान से आने वाले जनप्रतिनिधियों का भी समाज की ओर से स्वागत किया जाता है। समाज की मजबूती एवं एकता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ हिलमिल कर एवं भाईचारे की भावना से रह रहे हैं।
राजपूत समाज होसपेट के अध्यक्ष चंदनसिंह भाटी सावरड़ा ने बताया कि धार्मिक कार्य के साथ ही सामाजिक कार्य में भी समाज सदैव आगे रहता है। समय-समय पर समाज की मीटिंग का आयोजन किया जाता है। दिवाली, होली समेत अन्य पर्व-त्योहार भी समाज के लोग उमंग व उत्साह के साथ मनाते हैं। राजस्थान से आने वाले जनप्रतिनिधियों का भी समाज की ओर से स्वागत किया जाता है। समाज की मजबूती एवं एकता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ हिलमिल कर एवं भाईचारे की भावना से रह रहे हैं।
जन्मभूमि से लगाव
करीब 25 साल से समाज का संगठन बना हुआ है। राजपूत समाज होसपेट के अध्यक्ष चंदनसिंह भाटी सावरड़ा एवं कोषाध्यक्ष नरपतसिंह देवड़ा निम्बोड़ा है। समाज के अधिकांश परिवार राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से हैं। समाज के लोग यहां विभिन्न व्यवसाय में संलग्न है। आपसी मेलजोल की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। समाज के लोगों का राजस्थान से भी बराबर संपर्क बना हुआ है। समय-समय पर राजस्थान जाते हैं। अपनी जन्मभूमि के लिए भी योगदान देते रहते हैं।
करीब 25 साल से समाज का संगठन बना हुआ है। राजपूत समाज होसपेट के अध्यक्ष चंदनसिंह भाटी सावरड़ा एवं कोषाध्यक्ष नरपतसिंह देवड़ा निम्बोड़ा है। समाज के अधिकांश परिवार राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से हैं। समाज के लोग यहां विभिन्न व्यवसाय में संलग्न है। आपसी मेलजोल की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। समाज के लोगों का राजस्थान से भी बराबर संपर्क बना हुआ है। समय-समय पर राजस्थान जाते हैं। अपनी जन्मभूमि के लिए भी योगदान देते रहते हैं।
संस्कृति को आगे बढ़ा रहे
समाज के लोगों ने बताया कि राजपूत समाज के लोग पिछले दो-तीन दशक में कर्नाटक में अधिक आए हैं। मेहनत, लगन एवं ईमानदारी के साथ व्यवसाय करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। राजस्थान के रीति-रिवाज, परम्पराओं के साथ ही संस्कृति को बनाए रखने में समाज के लोग महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर राजस्थान की संस्कृति देखने को मिल रही है।
समाज के लोगों ने बताया कि राजपूत समाज के लोग पिछले दो-तीन दशक में कर्नाटक में अधिक आए हैं। मेहनत, लगन एवं ईमानदारी के साथ व्यवसाय करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। राजस्थान के रीति-रिवाज, परम्पराओं के साथ ही संस्कृति को बनाए रखने में समाज के लोग महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर राजस्थान की संस्कृति देखने को मिल रही है।