scriptपहले उत्सव का आनन्द अधिक था, अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा, कथा में बैठेंगे तो हर चीज सीखने को मिलेगी | Patrika News
हुबली

पहले उत्सव का आनन्द अधिक था, अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा, कथा में बैठेंगे तो हर चीज सीखने को मिलेगी

15 दिवसीय श्रीमद्भागवत, रामकथा एवं नानी बाई का मायरा

हुबलीAug 28, 2024 / 01:18 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित श्री रामदेव मंदिर परिसर में कथा का श्रवण करते भक्तगण।

हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित श्री रामदेव मंदिर परिसर में कथा का श्रवण करते भक्तगण।

पहले जिस तरह से उत्सव का आनन्द था। वह आनन्द, उत्साह एवं उल्लास धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसके लिए जरूरी है कि हम कथा के भावार्थ को सुनें-समझें। कथा में बैठेंगे तो हर चीज सीखने को मिलेगी। इसी से हम फिर से पर्व-त्यौहार के उत्साह, उल्लास व उमंग को हासिल कर सकेंगे। कर्नाटक के हुब्बल्ली शहर के गब्बुर गली स्थित श्री रामदेव मंदिर परिसर में चल रही 15 दिवसीय श्रीमद्भागवत, रामकथा एवं नानी बाई का मायरा के दौरान बुधवार को कथा के आठवें दिन उदयपुर से आए कथावाचक पुष्करदास महाराज ने यह बात कही। यहां कथा का श्रवण कराते हुए उन्होंने कहा कि जो उत्सव साथ में मनाने और कई दिनों पहले से उत्सव की तैयारियां होती थीं, वह रौनक अब फीकी पडऩे लगी है। जन्माष्टमी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कृष्ण भगवान का जन्म रात 12 बजे होता है लेकिन हम उस वक्त तक का इंतजार नहीं करना चाहते। उनके जन्म में सहभागी भी नहीं बनते।
बताई तिलक व चरणामृत की महिमा
श्री रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के तत्वावधान में आयोजित कथा के दौरान बीच-बीच में भजनों की प्रस्तुति भी दी गई। भक्तों ने भी सुर में सुर मिलाते हुए साथ दिया। भजनों की प्रस्तुति से माहौल भक्तिमय हो गया। उन्होंने तिलक एवं चरणामृत की महिमा बताई। एक दौर ऐसा भी था कि मंदिर की आरती के समय समूचा गांव इकट्ठा होता था। आजकल आरती में बहुत कम भक्त पहुंच रहे है। मंदिरों में नगाड़ा बजाने के लिए भी ऑटोमैटिक मशीनें लगा दी गई हैं। भगवान का चरणामृत लेने वालों की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती। बदले खान-पान पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि कई बीमारियों की जड़ ही हमारा बदला खान-पान है। हमें सात्विक भोजन की तरफ फिर से अग्रसित होने की जरूरत है।
जीवन व्यवहार की बातें
श्री रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के अध्यक्ष उदाराम प्रजापत एवं सचिव मालाराम देवासी ने बताया कि श्रीमद्भागवत, रामकथा एवं नानी बाई का मायरा को लेकर भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। शहर के विभिन्न स्थानों से भक्तगण कथा में पहुंच रहे हैं। कथा में प्रतिदिन संगीतमय शैली के साथ जीवन व्यवहार की बातें भी बताई जा रही है। कथा प्रतिदिन सुबह 9 बजे से सुबह11 बजे तक चल रही है।

Hindi News / Hubli / पहले उत्सव का आनन्द अधिक था, अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा, कथा में बैठेंगे तो हर चीज सीखने को मिलेगी

ट्रेंडिंग वीडियो