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हुबली

नेत्रहीन छात्र चलाते हैं कम्प्यूटर, यूट्यूब से कर रहे ज्ञान में बढ़ोतरी

विश्व ब्रेल दिवस पर विशेषअधिकांश शिक्षक भी नेत्रहीन

हुबलीJan 03, 2024 / 09:29 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Blind students

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वे नेत्रहीन है लेकिन आसानी से कम्प्यूटर चला लेते हैं। यूट्यूब से गाने सुनते हैं। मोबाइल का उपयोग कर लेते हैं। हुब्बल्ली की श्री आरूढ़ एजुकेशन सोसायटी फॉर दि ब्लाइन्ड चिल्ड्रन्स स्कूल में अध्ययनरत छात्र पढ़ाई में तो अव्वल है ही, वाद्य यंत्र बजाने, खेलकूद, गीत-संगीत में भी उनका कौशल देखते ही बनता है। खास बात यह है कि नेत्रहीन छात्रों को शिक्षा दे रहे अधिकांश शिक्षक खुद नेत्रहीन है। हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। कहा जा सकता है कि पूरी दुनिया में दृष्टिहीनों के लिए यह दिन बेहद खास है। यह दिन लुइस ब्रेल नाम के एक व्यक्ति के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि लुइस ब्रेल ने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। बता दें कि ब्रेल लिपि एक ऐसी भाषा है, जिसका इस्तेमाल नेत्रहीन लोग लिखने और पढऩे के लिए करते हैं। ब्रेल नेत्रहीनों के लिए पढऩे और लिखने के लिए एक स्पर्शनीय कोड है। इसमें एक विशेष प्रकार के कागज का प्रयोग किया जाता है, जिस पर लगे बिन्दुओं को छूकर पढ़ा जा सकता है। ये नेत्रहीन छात्र ब्रेल लिपि की मदद से आसानी से पढ़-लिख लेते हैं। ब्रेल में उभरे हुए 1 से 6 बिन्दुओं की यह एक व्यवस्था या प्रणाली होती है, जिसमें बिन्दु अक्षर, संख्या और संगीत व गणितीय चिन्हों के संकेतकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लुई ब्रेल ने केवल तीन साल की उम्र में ही एक दुर्घटना के कारण अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी।आंखें संक्रमित होने के कारण उनकी आंखों की दृष्टि पूरी तरह चली गई थी लेकिन दृष्टिहीनता के बावजूद उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समय के साथ तकनीकी युग में ब्रेल लिपि में कुछ बदलाव होते रहे हैं और अब ब्रेल लिपि कम्प्यूटर तक भी पहुंच गई है। ब्रेल लिपि ने विश्वभर में दृष्टिहीनों तथा आंशिक रूप से नेत्रहीनों की जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है।
ब्रेल लिपि में पारंगत
चौथी कक्षा में पढऩे वाली रेणुश्री हो या फिर आठवीं की प्रेरणा। इनके कंठ मधुर है। वे कन्नड़ में कर्णप्रिय गानों की सुन्दर प्रस्तुति देती है। नवीं में पढऩे वाला पार्थसारथी पांच साल से हारमोनियम बजा रहा है।आठवीं का छात्र निरुपादी गौड़ा तबला बजाने में मास्टर है तो चेस में भी उसका कोई जवाब नहीं है। आठवीं की छात्रा निर्मला पाटिल ब्रेल लिपि फर्राटे से पढ़ लेती है। स्कूल में अर्थशा एवं राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाली शिक्षिका शकुन्तला खुद नेत्रहीन है। उन्होंने संस्कृत में स्नातकोत्तर के साथ बीएड किया है। कन्नड़ पढ़ाने वाली शिक्षिका सिंचना नेत्रहीन है। वे मोबाइल धड़ल्ले से आपरेट कर लेती है। फटाफट नंबर मिला लेती है।
उत्तर कर्नाटक से आ रहे विद्यार्थी
स्कूल में हुब्बल्ली के साथ ही बागलकोट, विजयपुर, कोप्पल, गदग, बल्लारी, हावेरी समेत उत्तर कर्नाटक के विभिन्न जिलों से विद्यार्थी यहां अध्ययन कर रहे हैं। पहली से सातवीं तक केवल छात्राओं के लिए तथा आठवीं से दसवीं तक को-एजुकेशन है। स्कूल में 60 नेत्रहीन विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं।
70 विद्यार्थियों का हो चुका राजकीय सेवाओं में चयन
स्कूल से पढ़ चुके करीब 70 विद्यार्थी विभिन्न राजकीय सेवाओं में कार्य कर रहे हैं। कई निजी संस्थानों में भी कार्यरत है। छात्रों को कम्प्यूटर की शिक्षा दी जा रही है। खेल में भी छात्रों का प्रदर्शन श्रेष्ठ रहा है। योग, म्यूजिक, क्राफ्ट में भी छात्र भाग ले रहे हैं।
– विद्या बागले, स्कूल की प्रधानाध्यापिका।
दिखा रहे प्रतिभा
हम छात्रों को शिक्षा के साथ ही अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भी सक्रिय रखते हैं। इससे छात्रों की प्रतिभा निखरती है। नेत्रहीन विद्यार्थियों में टैलेन्ट भरा हुआ है। वे अलग-अलग क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं।
– बी.आर. श्यामला, सचिव, आरूढ़ एजुकेशन सोसायटी फॉर डिसएब्लड।
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