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International Day of Families 2024: 23 सदस्यों का भरा-पूरा सुखी परिवार: एक ही रसोई में बनता है खाना, सबसे वरिष्ठ 67 साल के वक्तावरमल तो सबसे छोटे डेढ़ साल के जुड़वां भाई-बहन राजवीर-रीत

विश्व परिवार दिवस पर विशेष: मन मोहती है रिश्तों की खुशबू, जो सुकून-खुशी संयुक्त परिवार में वह एकल में कहां

हुबलीMay 14, 2024 / 05:49 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

संयुक्त परिवार की मिसाल: राजस्थान मूल के कर्नाटक के विजयपुर का पारख परिवार।

हम पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है परिवारों का बिखरना भी तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। छोटी-छोटी बातों पर घर के लोगों की जिंदगी की राहें अलग-अलग होने लगी हैं। बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं। आज के इस आधुनिक जीवन में लगता है कि परिवार की अहमियत कम होती जा रही है। गांव-शहर में संयुक्त परिवार बहुत कम देखने को मिलते हैं। परिवार के विघटन का बड़ा कारण मौजूदा समय में लोगों की अलग विचारधाराएं हैं। दुनिया में हर साल 15 मई को परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार दिवस मनाने का उद्देश्य आमतौर पर परिवार के महत्व पर जोर देने के लिए किया गया है जिसमें अगर हमारा परिवार मजबूत होता है तो संस्थाएं और समुदाय भी मजबूत मानी जाती है।
एक छत के नीचे तीन पीढिय़ां
आज हम एक ऐसे ही संयुक्त परिवार की हम बात कर रहे हैं जहां एक ही छत के नीचे तीन पीढिय़ां रह रही हैं। परिवार की एकता को ऐसे सूत्र में पिरो दिया है कि अपनों के बीच रहकर काफी सुकून मिलता है। यहां की सामूहिक रसोई में पके भोजन में रिश्तों की खुशबू मन मोह लेती है। वर्ष 1950 में राजस्थान के बालोतरा जिले के समदड़ी के पास एक छोटे से गांव रानी देशीपुरा से घेवरचन्द सीरेमल पारख कर्नाटक के विजयपुर (पहले बीजापुर नाम था)आए। घेवरचन्द अपने पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। बाद में वे अपने दो छोटे भाइयों केवलचन्द व शेषमल को भी विजयपुर ले आए। घेवरचन्द के सबसे बड़े भाई ताउम्र राजस्थान ही रहे तथा दूसरे नंबर के भाई घमंडीराम का छोटी उम्र में ही निधन हो गया। घेवरचन्द सीरेमल पारख ने विजयपुर में चावल एवं किराणे का होलसेल का बिजनस किया। घेवरचन्द पारख का 1998 में निधन हो गया।
बिजनस में सभी की सामूहिक भागीदारी
अब घेवरचन्द के चारों बेटे एवं उनका परिवार एक साथ विजयपुर में रह रहे हैं। परिवार में 23 सदस्य हैं। मौजूदा समय में घेवरचन्द के सबसे बड़े बेटे 67 साल के वक्तावरमल परिवार में सबसे वरिष्ठ हैं तो सबसे छोटे सदस्य डेढ़ साल के राजवीर व रीत हैं जो जुड़वा हैं। घेवरचन्द के सबसे बड़े बेटे वक्तावरमल के बेटे राजेन्द्र कुमार के दो बेटे 4 साल का नींव व 2 साल के दीव है। घेवरचन्द के दूसरे नंबर के बेटे माणकचन्द के एक बेटे मनीष हैं जो विवाहित है। घेवरचन्द के तीसरे बेटे जोरावरमल के दो बेटे प्रतीक एवं अंकित है। प्रतीक के जुड़वीं बेटियां तीन साल की नियती एवं निष्ठा है। अंकित के जुड़वा बेटे-बेटी है। डेढ़ साल का बेटा राजवीर एवं बेटी रीत है। घेवरचन्द के सबसे छोटे बेटे महावीरचन्द पारख हैं जिनके एक बेटे पदम हैं जो अभी अविवाहित है। अब पारख परिवार का मुख्य कारोबार रियल एस्टेट एवं कंस्ट्रक्शन का है। जो 1983 में शुरू किया था। प्रोपर्टी रेन्टल पर देने एवं मार्बल का व्यवसाय भी है। बिजनस में परिवार के सभी सदस्यों की सामूहिक भागीदारी है।
मेहमानों की आवभगत आसानी से
महावीरचन्द पारख कहते हैं, परिवार के सदस्य सामायिक के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का है और रोज मंदिर में पूजा के लिए जाते हैं। विजयपुर में ही 2013 में श्री चिंतामणि पाश्र्वनाथ धाम की प्रतिष्ठा करवाई। मंदिर परिसर में ही भोजनशाला एवं धर्मशाला भी बनी है। राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ नाकोड़ा में वर्ष 2022 में आचार्य रविशेखर महाराज का चातुर्मास करवाया। पारख कहते हैं. परिवार के एक साथ रहने के कई फायदे हैं। मेहमानों की आवभगत आसानी से हो जाती है। परिवार का कोई न कोई सदस्य घर पर जरूर रहता है। परिवार की महिला सदस्याएं सास सुशीला देवी, भाग्यवंती देवी, पिस्तादेवी व काजू देवी के साथ ही बहुएं स्वीटी, पायल, सोनल व खुशबू अपने अनुसार घर के काम में सहयोग करती है। बच्चों को बड़ों का साथ मिल जाता है। संस्कार अच्छे मिलते हैं। एक साथ रहने से सभी की केयर अच्छी हो जाती है। साथ में रहने से किसी तरह का तनाव नहीं रहता। हंसी-खुशी का माहौल सदा बना रहता है। पूरा परिवार साथ मिलकर त्योहार मनाता है। सुख-दुख में सभी साथ होते हैं।

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