जारी रहेगा इन कंपनियों में निवेश
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, जब तक दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध पूरी तरह से खत्म नहीं जाते और उनकी सरकारें कठोर कदम नहीं उठातीं, तब तक सीपीपीआईबी जैसे विदेशी फंड भारत में निवेश करना जारी रखेंगे। इन फंड्स के लिए भारत सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है, जहां निवेश पर उन्हें तगड़ा रिटर्न मिल रहा है। जून 2024 तक सीपीपीआइबी के पास भारत की 5 लिस्टेड कंपनियों में 1 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी थी। कई कंपनियों ने अभी तक अपने लेटेस्ट शेयरहोल्डिंग पैटर्न का खुलासा नहीं किया है। 23,000 करोड़ रुपए का निवेश कनाडाई कंपनियों का भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में है, वहीं फाइनेंशियल सर्विसेज में 18,000 करोड़ तो इंडस्ट्रियल ट्रांसपोर्टेशन में 16,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट…
अल्फानीति के को-फाउंडर यूआर भट के मुताबिक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इसे देखते हुए कनाडाई फंड्स के जल्दबाजी में भारत में अपनी हिस्सेदारी बेचने की संभावना नहीं है। इनमें से अधिकांश फंड पेंशन फंड और लॉन्गटाइम निवेशक हैं। इसलिए वे अल्पकालिक घटनाओं के आधार पर अपनी निवेश रणनीतियों को बदलने की संभावना नहीं रखते हैं।