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ऐसे मुख्यमंत्री की कहानी जो 20 साल तक रहा उग्रवादी, अब खेलने जा रहा राजनीति की तीसरी पारी

अपने जीवन के शुरूआती दिनों में जोरामथांगा करीब 20 साल तक अंडरग्राउंड रहे और एक विद्रोही के रूप में जीवन जीते रहे।

Dec 16, 2018 / 03:13 pm

Neeraj Tiwari

ऐसे मुख्यमंत्री की कहानी जो 20 साल तक रहा उग्रवादी, अब खेलने जा रहा राजनीति की तीसरी पारी

नई दिल्ली। इंसान का भाग्य और उसकी किस्मत उसे कब कहां से कहां पहुंचा दे कोई नहीं जानता है। ऐसा ही कुछ हुआ 74 साल वर्षीय मिजोरम के वर्तमान मुख्यमंत्री जोरामथांगा के साथ। बता दें कि अपने जीवन के शुरूआती दिनों में ये करीब 20 साल तक अंडरग्राउंड रहे और एक विद्रोही के रूप में जीवन जीते रहे। लेकिन साल 1986 में इन्होंने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैंसला किया। आज यह बात प्रासंगिक इसलिए है क्योंकि शनिवार को उन्होंने तीसरी बार मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला है।

अकाल से लड़ने शुरू की थी मुहिम

बता दें कि साठ के दशक में इस पार्टी का गठन एक सिविल सोसाइटी के रूप में अकाल से लड़ने के लिए किया गया था। लेकिन कुछ सालों में ही यह एक विद्रोही गुट के रूप में तब्दील हो गई। खास बात यह है कि उस दौरान इस पार्टी को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने आर्थिक मदद पहुंचाना शुरू कर दिया था, इसके साथ ही इस संगठन में शामिल लोगों को आईएसआई ने प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया। ऐसे में मार्च 1966 में लालडेंगा की अगुवाई वाले मिजो नैशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भारत से आजादी की घोषणा कर दी।

20 सालों तक रहे अंडरग्राउंड

इसी दौरान करीब 20 सालों तक पार्टी के लेफ्टिनेंट और सचिव रहे जोरामथांगा अंडरग्राउंड रहे। इस दौरान वह बीजिंग और इस्लामाबाद में रहे। बाद में भारतीय जासूसों की मदद से भारत लौट आए। इसके अलावा 1986 में सरकार और एमएनएफ के बीच मिजोरम पीस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर भी हो गया। इसके चार साल बाद जुलाई, 1990 में पार्टी के संस्थापक लालडेंगा की मृत्यु फेफड़े के कैंसर से हो गई। ऐसे में जोरामथांगा को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।

तीसरी बार बने हैं मुख्यमंत्री

एमएनएफ ने 21 विधायकों के साथ 1998 में सरकार बनाई और जोरामथांगा मुख्यमंत्री बने। इसके बाद साल 2003 में पार्टी को फिर बहुमत मिला और फिर से जोरामथांगा मुख्यमंत्री बने। हालांकि 2008 और 2013 में पार्टी को करारी हार मिली लेकिन 2018 में एक बार फिर एमएनएफ बहुमत के पार पहुंची और जोरामथांगा तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। गौर करने वाली बात यह भी है कि जोरामथांगा की पार्टी एमएनएफ, एनईडीए का घटक है। जिसे लगभग ढाई साल पहले भाजपा ने नॉर्थ ईस्ट की सभी कांग्रेस विरोधी पार्टियों को एक करने के लिए बनाया था।

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