दरअसल, साल 1975 में LAC पर आखिर बार चीन के हमले में भारतीय सैनिक (Indian Army) शहीद हुए थे। इसके बाद ये पहली बार है जब चीन सीमा पर किसी जवान की जान गई है।
सूत्रों के मुताबिक इसके कुछ सालों बाद ही दोनों देशों ने यह तय किया है कि सीमा पर अग्रिम चौकियों पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास या तो हथियार नहीं होंगे। अगर किसी के पास बंदूक होगी भी तो वो इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। इसके बाद से ही भारत और चीन ने के सैनिकों ने इसका इसका पूरी तरह पालन किया ।
इसके बाद भी चीन और भारत के कई बार मनमुटाव हुआ लेकिन दोनों देशों ने लगातार बातचीत से लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर कभी स्थिति बेकाबू नहीं होने दी। साल 1993 में देश के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) ने मेनटेनेंस ऑफ पीस ऐंड ट्रैंक्विलिटी समझौते पर दस्तख़त किया। इसके बाद साल 1996 में दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने के उपायों पर समझौता हुआ।
साल 2003 में भाजपा सरकार और 2005 में कांग्रेस सरकार के दौर में भी चीन से समझौते हुए। इसके बाद 2013 में बॉर्डर डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से भी दोनों देशों के रिश्ते में सुधार की बात कही जा रही थी।
लेकिन बीते मई के महीने में दोनों देशों में लद्दाख बॉर्डर के पास माहौल काफी तनावपूर्ण बना हुआ था। मई महीने के शुरुआत में चीनी सैनिकों ने भारत द्वारा तय की गई एलएसी को पार कर लिया था। चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील, गलवान घाटी के पास आकर अपने तंबू गाढ़ लिए थे। सूत्रों के मुताबिक यहां पर करीब पांच हजार सैनिकों को तैनात किया गया था, इसके अलावा सैन्य सामान भी इकट्ठा किया गया था।