ताजुब की बात है कि एक-दो नहीं लगभग 400 बच्चे यहां जुड़वा पैदा हुए हैं। 2016 में यहाँ पर एक रिसर्च करने एक टीम भी आई थी। यहाँ पर हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, केरला यूनिवर्सिटी ऑफ़ फिशरीज एंड ओसियन स्टडीज, लंदन यूनिवर्सिटी और जर्मनी के रिसर्चर्स भी यहां आए थे। उन्होंने बहुत सारे बच्चों के सैंपल लिए। बच्चों के बाल और उनके लार के ऊपर अनेकों रिसर्च किए गए कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन आज भी ये बात सिर्फ एक रहस्य ही बनी हुई है। और अभी तक वैज्ञानिकों को भी इस रहस्य के बारे में कुछ नहीं पता चला है।
देश-दुनिया में सबकी नजर इस गांव में टिकी रहती है क्योंकि यहाँ लगभग 220 जुड़वा बच्चे हैं। माना जाता है कि इस जगह को भगवान का आर्शीवाद मिला हुआ है। क्योंकि जहां बहुत ही कम तादात में जुड़वा बच्चे देखने को मिलते हैं। वहीँ इस गांव में एक-साथ इतने जुड़वाँ बच्चे जन्म लेते हैं।
गांव में जुड़वा बच्चे होने की शुरआत की बात करें तो अब्दुल हमीद और उनकी बहन कुन्ही कदिया से हुई है। ये लोग गांव में बूढ़े-बुजुर्ग हैं। दो साल ऐसा नहीं होता था। लेकिन अब इस गांव में अधिकतर जुड़वा बच्चे देखने को मिल जाते हैं।
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