मुंबई में हुए 26/11 के हमले को आखिर कौन भूल सकता है। आतंक के इस खौफनाक मंजर को अपनी आंखों से देखने वाली अंजली कुल्टे को उनकी बहादुरी के लिए सलाम किया जाना चाहिए। दरअसल उन्होंने आतंकियों से 20 गर्भवती महिलाओं की जान बचाई थी। दरअसल आतंकी एक हॉस्पिटल में घुस गए थे। वो प्रसव वार्ड की तरफ ब रहे थे। तभी नर्स अंजली ने खतरे को देखते हुए तुरंत सभी गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को रसोईघर में छुपाया था।
अंजली की तरह सुनीता ठाकुर की बहादुरी के किस्से भी बहुत मशहूर हैं। उन्होंने नक्सली क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के स्वास्थ की देखरेख की जिम्मेदारी उठाई थी। सुनीता छत्तीसगढ़ स्थित एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) के पद पर थीं। लोगों की देखभाल के लिए उन्हें रात को भी जाना पड़ता था। सुनीता ने बताया कि घने जंगलों और जंगली जानवरों के बीच उन्हें रहना पड़ता था। लोगों की मदद के लिए कई बार उन्होंने रात को नाव से नदी पार की है। उस नदी में ढ़ेरों मगरमच्छ और दूसरे खतरनाक जानवरों का डर रहता था।
लोगों की मदद का कुछ ऐसा ही जज्बा लिनी पुथुसर्ली में भी दिखा। उन्होंने लोगों को निपाह वायरस से बचाने के लिए खुद के प्राण तक न्यौछावर कर दिए। दरअसल उन्हें खोजीगोडे के प्रेरांबरा अस्पताल के मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी मिली थी। उन्हें निपाह वायरस के मरीजों को देखना था। चूंकि पुथुसर्ली नर्स के साथ दो बच्चों की मां भी थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपने पेशे को ज्यादा तरजीह दी। मरीजों की केयर करने के दौरान वो खुद भी वायरस की चपेट में आ गई थीं।