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Scam 1992: हर्षद मेहता ने कैसे लगाया था भारत के सबसे बड़े बैंक को चूना ?

1992 Indian stock market scam : सीरीज स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी’ (Scam 1992 The Harshad Mehta Story) इन दिनों खूब चर्चा में है। इस सीरीज में हर्षद मेहता के कारनामों को दिखाया गया है।

Oct 12, 2020 / 06:54 pm

Vivhav Shukla

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1992 Indian stock market scam

नई दिल्ली। शेयर मार्केट घोटालों पर बनी वेब सीरीज स्कैम 1992 इन दिनों खूब चर्चा में है। ये सीरीज शेयर दलाल हर्षद मेहता की कहानी को बया करती है। हर्षद मेहता, जो कभी स्टॉक मार्केट का बेताज बादशाह कहा जाता था। लोग उसे शेयर बाजार का ‘बच्चन’ कहते थे। स्कैम 1992 इसी के उपर बनी एक साढ़े 3 घंटे की सिरीज़ है। इसमें दिखाया गया है कि एक छोटा सा ब्रोकर कैसे इन्वेस्टमेंट के साथ करोड़ों कमाने लगता है। इस सिरीज़ को डायरेक्टर हंसल मेहता नई ने बनाया है।

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कौन था हर्षद मेहता (Harshad Mehta ) ?

साल 1992 में देश का पहला फाइनेंशियल स्कैम जो करीब 4 हजार करोड़ रुपए का था, उसे हर्षद मेहता ( Harshad Mehta ) ने ही अंजाम दिया था।

हर्षद का जन्म 29 जुलाई 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में हुआ था। हर्षद की पढ़ाई मुंबई के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुई थी। इसने पहली नौकरी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में सेल्समैन की नौकरी की। जिसके बाद वे शेयर बाजार में ब्रोकर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया।

साल 1984 में हर्षद ने अपनी ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी खोली और बीएसई में ब्रोकर मेंबरशिप भी हासिल की। फिर अगले 10 सालों में वे बाजार का बच्चन बन गया।

साल 1990 में हर्षद मेहता के पास इतना पैसा था कि वो सेलिब्रिटी जैसी जिंदगी जीने लगा था। उसके पास कई सी फेसिंग बंग्लो और लग्जरी गाड़िया थी। बस यहीं से वे सबकी नजर में आ गया। फिर ठिक दो साल बाद उसके बारे में कई खुलासा किया गया और उसके ऊपर कई सिविल और क्रिमिनल केस फाइल हुए।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे 5 साल की सजा और 25000 रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई। इसके बाद उसे ठाढ़े जेल में बंद कर दिया गया। 31 दिसंबर 2001 को उसकी जेल के अंदर ही मौत हो गई।

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बैंक के पैसे से करता था मुनाफ़ा

SonyLIV की सिरीज Scam 1992 में दिखाया गया है कि हर्षद बड़े स्कैम कैसे बड़ी आसानी से कर लेता था। वे बैंक से एक 15 दिन का लोन लेता और बाजार में लगाकर शेयर का हेर-फेर करता था। इसके बाद बैंक को पूरा पैसा 15 दिन के अंदर ब्याज सहित लौटा देता था। लोन के लिए मेहता फेक बीआर बनवाता था। उसने ऐसा ही 500 करोड़ का लोन SBI से लिया था लेकिन इसके बदले उसके कोई बीआर नहीं दिया और फिर पकड़ा गया।

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