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यमराज से टक्कर ले रहा है ये व्यक्ति, संसार के बनाए नियम को दे रहा है चुनौती

आस्ट्रेलिया के एक्जिट इंटरनेशनल द्वारा इस मशीन को बनाने का काम किया जा रहा है। निदरलैंड के फिलिप निश ने इसे डिजाइन किया है।

May 30, 2018 / 10:44 am

Arijita Sen

Man on track

यमराज से टक्कर ले रहा है ये व्यक्ति, संसार के बनाए नियम को दे रहा है चुनौती

इंसान को अपने जीवनकाल में कई चीजों का सामना करना पड़ता है। कभी परिस्थिति हमारे अनुकूल होती है तो कभी-कभार हमें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है।

हालांकि कई बार ऐसा होता है जब इंसान परिस्थितियों के आगे हार जाता है और मौत को गले लगाना बेहतर समझता है।

अपनी जिंदगी को खत्म करने के लिए वो कई दर्दनाक पद्धतियों या चीजों का सहारा लेता है लेकिन अब विज्ञान के इस दौर में हर क्षेत्र में क्रान्ति आ रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं।

Sarco

एक ऐसे ही नई मशीन का आविष्कार किया गया है जो इंसान को बेहतर मौत देने के काम आएगी। जी, हां आस्ट्रेलिया के इच्छा मृत्यु संगठन एक्जिट इंटरनेशनल द्वारा इस मशीन को बनाने का काम किया जा रहा है।

इसे मुख्य रूप से निदरलैंड के प्रोफेसर फिलिप निश के द्वारा डिजाइन किया गया है। सारको नाम के इस मशीन की मदद से इंसान आसानी से आत्महत्या कर सकता है वो भी बिना किसी दर्द के।

Sarco

प्रोफेसर निश का इस मशीन के बारे में कहना है कि सारको का आकार एक कॉफिन जितना होगा। मौत को गले लगाने वाले व्यक्ति को इस मशीन के अंदर सुलाया जाएगा। इसके बाद मशीन के ढक्कन को बंद कर दिया जाएगा।

एक बटन को दबाने से मशीन के अंदर नाइट्रोजन गैस का धीरे-धीरे रिसाव होने लगेगा और इसके साथ ही साथ आॅक्सीजन की मात्रा घटकर 5 प्रतिशत हो जाएगी।

इससे मशीन के अंदर मौजूद इंसान बेहोश हो जाएगा और महज पांच मिनट के अंदर ही उसकी मौत हो जाएगी। अंत में कॉफिन को मशीन से अलग कर दिया जाएगा।

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प्रोफेसर निश आगे कहते हैं कि इस मशीन को 3 डी प्रिंटिंग तकनीक की सहायता से बनाया जा रहा है। अगर बाकी के देशों में इसे बनाने की अनुमति मिलती है तो कोई भी इस तकनीक की मदद से सारको को बना सकेगा। फिलहाल सारको केवल स्विटजरलैंड में ही पाया जा सकेगा। यहां के विभिन्न क्लीनिकों में सारको मौजूद होगा।

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हालांकि प्रोफेसर निश के लिए इस मशीन को बनाना आसान नहीं रहा। इसके लिए उन्हें तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोग अभी भी उनकी निंदा कर रहे हैं। यहां तक कि उनकी तुलना हिटलर से भी की जा रही है लेकिन वो इन सबसे बेअसर है।

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उनका कहना है कि उन्हें अपने इस आविष्कार में कोई गलती नजर नहीं आती है। इच्छामृत्यु को लेकर वो आने वाले समय में भी कार्य करते रहेंगे।

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