प्लेन का इंजन अचानक हो गया था बंद
इस घटना के बारे में रतन टाटा का कहना है कि वे उस समय महज 17 साल के थे। यह उम्र पायलट के लाइसेंस के लिए जरूरी उम्र थी। वे खुद किराए का प्लेन लेकर अपने दोस्तों से उड़ान भरने को लेकर बात की। रतन टाटा ने अपने तीन दोस्तों को इकठ्ठा किया, जो उनके साथ उड़ान भरने के लिए तैयार थे। उन्होंने बताया कि पहले प्लेन काफी तेजी से हिला और फिर इसका इंजन बंद हो गया।
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ऐसे बचें रतन टाटा
मुश्किल से बाहर निकलकर टाटा ने आगे कहा कि एक हल्के प्लेन में इंजन खत्म होना बड़ी बात नहीं है। इससे प्लेन क्रैश होने से बच भी सकता है। उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी ऊंचाई पर हैं। जहां आप प्लेन को उतारना चाहते हैं वह जमीन आपने पहले से देखी है या बाद में देखनी है। उस समय जब प्लेन क्रैश होने वाला था, तब रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने अपनी हिम्मत बनाए रखी। उन्होंने हंसते हुए अपनी बात खत्म की और कहा कि आप हंस नहीं सकते कि इंजन बंद हो गया है।
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चेयरमैन बनने तक का सफर
बता दें कि शुरुआती दिनों में रतन टाटा लॉस एंजेलिस, अमेरिका में आर्किटेक्ट के ऑफिस में काम करते थे। इनकी दादी बीमार पड़ने के कारण उनको भारत आना पड़ा। 4 से 5 वर्ष तक अपनी बीमार दादी की देखभाल की। इसके बाद वह वापस नहीं गए थे। इन्होंने टाटा मोटर्स में शॉप फ्लोर पर काम किया। जेआरडी टाटा जो टाटा ग्रुप के चेयरमैन और टाटा संस के शेयरहोल्डर थे, उन्होंने रतन टाटा से कहा था कि वह केवल बैठ नहीं सकते, उन्हें काम में शामिल होना पड़ेगा। बाद में रतन टाटा ने अपना खुद का ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया और निर्माण के अलग स्तरों में मैट्रियल को देखा। रतन टाटा ने कहा कि यह उनके सबसे कीमती 6 महीने रहे। इसके बाद वे लंबे समय के पश्चात यह TELCO के चेयरमैन बन गए।