COVID-19 Vaccine बनने में अब बस चंद कदम बाकी, ट्रायल के तीसरे चरण के नतीजे जानकर होगी हैरानी इस संबंध में COVID-19 रिकवरी क्लीनिक का नेतृत्व करने वाले ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के गैस्ट्रोएंट्रोंलॉजिस्ट डॉ. संदीप लाहोटी कहते हैं, “हम पर्याप्त संख्या में COVID-19 से उबरने वाले व्यक्तियों में इस बात के सबूत देख रहे हैं कि वे इसके हफ्तों से महीनों बाद तक इस बीमारी के प्रभावों को महसूस कर रहे हैं। हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि ये लक्षण कितने समय तक जारी रह सकते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि इनमें से कई लोगों को विशेष देखभाल से फायदा मिलेगा और कुछ मामलों में लोगों को नियमित रूप से फॉलो अप करना होगा।”
पोस्ट COVID सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? जिस तरह COVID-19 के दौरान मरीजों को तमाम तरह के लक्षण नजर आते हैं, उसी तरह पोस्ट-COVID सिंड्रोम में भी तमाम तरह की परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। इसमें सबसे आम लक्षण जो शामिल हो सकते हैं:
डॉ लाहोटी कहते हैं, “हमें नहीं पता है कि ये लक्षण कितने समय तक जारी रह सकते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि कुछ लोगों में ये वे कम से कम छह महीने या और लंबे समय तक रह सकते हैं। यह लक्षण कई बार दिलचस्प और कुछ अनोखे हो सकते हैं। जैसे, एमआरआई स्कैन इन लोगों में से कुछ में मायोकार्डिटिस को दर्शाता है, यानी यह दिखाता है कि हृदय की मांसपेशी में कई महीनों तक सूजन रह सकती है- भले ही बीमारी के दौरान हृदय से जुड़े लक्षण दिखाई नहीं दिए थे।”
कोरोना से ठीक होने वाले व्यक्तियों में दिख रहा Blue-Toe Syndrome हालांकि बीमारी से उबरने के बाद भी बने रहने वाले इन लक्षणों के कारण और दीर्घकालिक परिणाम, अभी भी स्पष्ट नहीं है। डॉ लाहोटी बताते हैं, “हम अभी तक नहीं जानते हैं कि पोस्ट-कोविड सिंड्रोम क्यों होता है, लेकिन इसके पीछे संक्रमण के छिपे हुए क्षेत्रों से लेकर लंबे समय तक सूजन वाली प्रतिक्रिया जैसी संभावना होती है।”
उन्होंने कहा, “हम यह भी सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं कि ठीक होने के बाद दिखने वाले इन लक्षणों के दीर्घकालिक परिणाम क्या हो सकते हैं। हम जानते हैं कि यह सिंड्रोम निश्चित रूप से जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अभी हम किसी भी गंभीर प्रभाव की उम्मीद नहीं करते हैं।”
किसी में भी नजर आ सकते हैं COVID-19 लक्षण? डॉ. लाहोटी चेतावनी देते हैं, “पोस्ट-कोविड सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति में देखने को मिल सकता है। इनमें चाहे अस्पताल में भर्ती गंभीर रोगी हों या बिना लक्षणों वाले ऐसे मरीज जो घर में रहकर खुद से ठीक हो गए हों। ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि ये वे लोग हैं जिन्हें अपनी वास्तविक बीमारी के दौरान किसी विशेषज्ञ से देखभाल की आवश्यकता शायद नहीं पड़ी हो, लेकिन अब उन्हें विशेष देखभाल से लाभ हो सकता है क्योंकि ये बाद में नजर आने वाले लक्षण उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं।”
दिल्ली में कोरोना वायरस मचाने वाला है कोहराम, रोजाना आने लगेंगे 12 हजार नए केस पोस्ट-COVID सिंड्रोम की वास्तविक आवृत्ति अभी भी चर्चा का विषय बनी हुई है और विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि यह स्थिति लोगों के विभिन्न समूहों में कमोबेश आम है। डॉ लाहोटी कहते हैं, “कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि COVID वाले केवल 10% लोगों में ही पोस्ट-COVID सिंड्रोम नजर आते हैं, जबकि अन्य अध्ययन बहुत अधिक प्रतिशत दिखा रहे हैं- कुछ का यह भी सुझाव है कि 70% तक लोग लगातार लक्षणों का अनुभव करते हैं।”
डॉ. लाहोटी के अनुसार कुछ ऐसे संकेत और सुझाव हैं जो ईशारा करते हैं कि किन व्यक्तियों में पोस्ट-कोविड सिंड्रोम नजर आ सकते हैं।