निर्भया केस : मौत से पहले इस सुनसान जगह कैदी बिताते हैं आखिरी घंटे, रोक दिया जाता है सारा काम बताया जाता है कि गांव के एक शख्स के घर में चार दिनों से पथराव हो रहा था। उसने इसका शक गांव की चार महिलाओं समेत एक बच्ची पर लगाया। उसका कहना है कि चारों पर डायन का साया है। इसी सिलसिले में पंचायत बुलाई गई। सरपंचों के आदेश पर खाैलते पानी में दाे सिक्के डाले गए। फिर उसमें गाेबर डाल दिया, ताकि सिक्का न दिखे। अब चारों आराेपी महिलाओं काे बारी-बारी से सिक्का निकालने के लिए कहा गया।
खौलते पानी (boiled water) में हाथ डालने से महिलाओं के हाथ जल गए। महिलाओं का कहना है कि गांव वालों ने उनसे कहा कि अगर उनके पास भूत-प्रेत नहीं है ताे डरने की जरूरत नहीं है हाथ नहीं जलेगा। अगर उन्हाेंने भूत छाेड़ा है ताे हाथ जल जाएगा। जब महिलाओं ने इनकार किया ताे उन्हें धमकाया गया। मारपीट और सामाजिक बहिष्कार के डर से महिलाएं अग्निपरीक्षा देने काे तैयार हुईं।
अग्निपरीक्षा (agni pariksha) देने वाली 13 साल की बच्ची ने कहा पहले उसके घर पर ही पथराव हाे रहा था। मगर बाद में दूसरे शख्स के यहां पथराव होने लगे। उन्होंने इस बात के लिए बच्ची के घरवालों को दोषी पाया। इसलिए पंचायत के सामने उन पर झूठा आरोप लगाकर उनसे जबरन अग्नि परीक्षा दिलवाई गई। लड़की का कहना है कि उसके काफी कहने के बावजूद पंचायत के लोग नहीं मानें। मामले की पुलिस जांच कर रही है, इसी बीच आरोपी फरार हो गए हैं।