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गौतम बुद्ध बनने के लिए ये भिझु बन गया था जीता जागता ममी, वैज्ञानिकों को मिलें सबूत

Buddhist mummies : 1100 ईसा पूर्व हुई थी इस भिक्षु की मृत्यु
एक हजार दिनों तक खाई थी पेड़ की जड़

Sep 06, 2019 / 12:35 pm

Soma Roy

नई दिल्ली। म्यूजियम में तो अक्सर आपने खास लोगों की ममी देखी होंगी। जिसमें डेडबॉडी को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए एक खास लेप लगाया जाता है। मगर आज हम आपको एक ऐसे बौद्ध भिझु के बारे में बताएंगे जिसने जीते जी खुद को एक ममी में बदल लिया। इसके चलते भिझु ने कई सालों तक बेहद अजीबो-गरीब चीजें भी खाई हैं।
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक चाइना के एक भिक्षु ने खुद को जीते जी एक ममी में बदल लिया था। इस बात का खुलासा हाल ही में वैज्ञानिकों की ओर से चाइना के एक मंदिर में की गई खोज के दौरान किया गया। उन्होंने बताया कि कैसे एक संत ने कमल के फूल के स्टैचू पर बैठकर खुद की हड्डियों को उसमें सहेजे रखा।
इस भिक्षु की मृत्यु 1100 ईसा पूर्व हुई थी। बताया जाता है कि संत खुद को गौतम बुद्ध की तरह बनाना चाहता था। इसलिए उसने खुद को जीवित अवस्था में ममी में बदलने का फैसला लिया था। इसके लिए वो कई दिनों तक खुद भूखे भी रहें। इसके बाद शरीर की चर्बी को गलाने के लिए उन्होंने बेरीज और बीज खाने शुरू किए। आखिरी के एक हजार दिन उन्होंने उरूशी पेड़ की छाल और जड़ें खाईं। वैज्ञानिकों के मुताबिक भिक्षु ने खुद के शरीर को हड्डी के ढांचे में बदलकर एक कमल के फूल वाले स्टैच्यू पर ध्यान की मुद्रा में बैठ गए। जहां उन्होंने कठोर तपस्या कर अपने प्राण त्यागे। तब से उनकी ममी उस स्टैच्यू में सुरक्षित अवस्था में है।

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