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मुंशी प्रेमचंद जयंती: कैसे और क्यों लगा प्रेमचंद के नाम के आगे ‘मुंशी’

उपन्‍यास सम्राट प्रेमचंद की आज है जयंती
उनका असली था नाम धनपत राय, जानें कैसे लगा उनके नाम के आगे मुंशी
पत्रिका हंस में बनाया उन्हें लोकप्रिय

Jul 31, 2019 / 10:30 am

Priya Singh

नई दिल्ली। देश के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ( Munshi Premchand ) का आज जन्मदिन है। 31 जुलाई 1880 को जन्मे प्रेमचंद एक महान लेखक होने के साथ-साथ आम जनता के लेखक भी हैं। उनका असली नाम धनपत राय लेकिन साहित्य में उनकी ख्याति ने उन्हें प्रेमचंद बना दिया। वे हिंदी के साथ-साथ उर्दू लेखन भी करते थे। उर्दू लेखन में उन्होंने अपना नाम नवाब राय रखा था। धनपत राय के दादा गुरु सहाय राय और पिता अजायब राय दोनों के नाम में मुंशी नहीं था तो फिर उनका नाम मुंशी कैसे पड़ा आइए जानते हैं। 1930 में राजनेता और विद्वान कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को महात्मा गांधी ने प्रेरणा दी जिसके बाद उन्होंने प्रेमचंद के साथ मिलकर पत्रिका ‘हंस’ निकाली। इस पत्रिका का संपादन दोनों मिलकर किया करते थे।

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कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी प्रेमचंद से 7 साल बड़े थे तो अपनी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने तय किया कि पत्रिका के संपादन में उनका नाम प्रेमचंद से पहले जाए जिसके चलते हंस के कवर पर संपादक के रूप में ‘मुंशी-प्रेमचंद’ नाम प्रिंट होकर जाने लगा। पत्रिका हंस में अंग्रेजों के खिलाफ बुद्धिजीवी आर्टिकल लिखा करते थे। हंस में छपे कामों को लेकर अंग्रेजी सरकार तिलमिला गई। वे वही समय था जब प्रेमचंद एक बड़ा नाम बन गए। वे अपनी कहानियों और उपन्यास को लेकर तब तक काफी लोकप्रिय हो चुके थे। विद्वान होने के बावदूद केएम मुंशी से ज्यादा प्रेमचंद हुए। इससे लोगों को एक बड़ी गलतफहमी हो गई वे मान बैठे कि प्रेमचंद ही ‘मुंशी-प्रेमचंद’हैं।

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