दिल्ली मेट्रो में अश्लील हरकत कर रहा था कपल, कंट्रोल रूम से वीडियो लीक होते ही मची सनसनी
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी प्रेमचंद से 7 साल बड़े थे तो अपनी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने तय किया कि पत्रिका के संपादन में उनका नाम प्रेमचंद से पहले जाए जिसके चलते हंस के कवर पर संपादक के रूप में ‘मुंशी-प्रेमचंद’ नाम प्रिंट होकर जाने लगा। पत्रिका हंस में अंग्रेजों के खिलाफ बुद्धिजीवी आर्टिकल लिखा करते थे। हंस में छपे कामों को लेकर अंग्रेजी सरकार तिलमिला गई। वे वही समय था जब प्रेमचंद एक बड़ा नाम बन गए। वे अपनी कहानियों और उपन्यास को लेकर तब तक काफी लोकप्रिय हो चुके थे। विद्वान होने के बावदूद केएम मुंशी से ज्यादा प्रेमचंद हुए। इससे लोगों को एक बड़ी गलतफहमी हो गई वे मान बैठे कि प्रेमचंद ही ‘मुंशी-प्रेमचंद’हैं।