अकेले उत्तर प्रदेश में हुई इन हिंसक घटनाओं में 19 लोगों की मौत हो गई। वहीं सैकड़ों लोग घायल हो गए। जिनमें 288 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। इस बीच फिरोजाबाद (CAA Protest in Firozabad) में इंसानियत की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली।फिरोजाबाद से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसकी ऐसे मुश्किल वक़्त में काफी जरूरत है। यहां भीड़ एक पुलिसकर्मी की जान लेने पर उतारू थी। लेकिन इस भीड़ से ही निकले एक शख्स ने उपद्रवियों से उस पुलिस वाले की जान बचाई।
कानपुर में पुलिस फायरिंग से हुई युवक की मौत पर भड़कीं बॉलीवुड एक्ट्रेस, बोलीं- पुलिस ने हैवानियत की सारी हदें.. यह वाकया 20 दिसंबर का है। इस दिन फिरोजाबाद भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान माहौल गरमा गया था। शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने अचानक से हिंसक रूप ले लिया। एक तरफ से कुछ उपद्रवी लोग पत्थर बरसा रहे थे तो वहीं पुलिस उन्हें काबू में करने के लिए लाठी भांज रही थी। इस दौरान एक पुलिसकर्मी जिनका नाम अजय कुमार है बेकाबू भीड़ के बीच फंस गए। उपद्रवियों ने उन्हें जमकर पीटना शुरू किया। उन्हें पीटते वक़्त लोग इतने आपे से बाहर हो गए थे कि कुछ ही देर में उनकी जान जा सकती थी। लेकिन इसी बीच एक शख्स उनके लिए फरिश्ता बनकर आया।
जहां ये घटना घट रही थी वहीं नमाज पढ़ रहे हाजी कादिर को जैसे ही इस बारे में पता चला तो वह तुरंत उस जगह की ओर दौड़े। इससे पहले की भीड़ अपना खौफनाक रूप दिखाती उन्होंने किसी तरह लोगों को खदेड़ते हुए पुलिस वाले को उपद्रवियों से छुड़ाया।इसके बाद वो पुलिस वाले को सुरक्षित अपने घर ले गए। अजय कुमार नाम के इस पुलिस वाले को अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह जिंदा हैं, उनकी सांसें चल रही हैं। अजय ने उस खौफनाक मंजर की कहानी को याद करते हुए बताया, ‘भीड़ ने मुझे घेर लिया था और वो मुझे बुरी तरह पीट रहे थे।
CAA पर बोले अजय, ‘इस मामले में राय दी तो मेरी फिल्म हो सकती है बैन’ अगर हाजी साहब वहां न पहुंचते तो पता नहीं मेरे साथ क्या होता। हाजी मुझे भीड़ से बचाकर अपने घर ले गए। मुझे काफी चोटें आई थीं। उन्होंने मुझे पानी पिलाया और अपने कपड़े दिए और मुझे भरोसा दिलाया कि मैं बिलकुल सुरक्षित हूं।अजय कुमार ने हाजी कादिर का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘वो मेरी जिंदगी में खुदा के फरिश्ते की तरह आए हैं। अगर वो वहां नहीं आते तो इतना तय था कि भीड़ मुझे मार ही देती। हाजी कादिर ने इस बारे में कहा, ‘मैंने जो भी किया वो इंसानियत के नाते किया मुझे उनका नाम भी मालूम नहीं था।