167 वर्ष पुराना है भारतीय रेल का इतिहास, जानें ब्रिटिश शासकों के क्यों डाली थी रेल की नींव बता दें कि भगवान महावीर का बचपन का नाम वर्धमान ( Vardhman ) था और उनका जन्म एक राज परिवार में हुआ था। वर्धमान को अपनी ज़िंदगी में कभी किसी चीज़ की कमी नहीं थी और वो बेहद धनवान थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने महज 30 साल की उम्र में संन्यास लेकर अपना राज-पाठ छोड़ दिया और सत्य की खोज करने के लिए निकल पड़े।
आपको बता दें कि वर्धमान ने लोगों की भलाई के लिए उन्हें सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। वर्धमान को जब ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी तब उन्हें महावीर कहा जाने लगा। धीरे-धीरे भगवान महावीर अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को लोगों तक पहुंचाने लगे। महावीर ने ढोंग, पाखंड, अत्याचार, अनाचारत व हिंसा से हटकर अहिंसक धर्म का प्रचार किया।
क्यों होता है ट्रेन के पीछे एक्स का निशान, ज्यादातर लोगों को नहीं पता इसका जवाब जिस समय भगवान महावीर इस धरती पर आए, उस समय के समाज में बहुत सारी कुरीतियां फैली हुई थीं। लोगों को सच और झूठ में फर्क नहीं समझ आ रहा था। इस वजह से समाज में बुराइयां बढ़ती जा रही थीं, जिन्हें देखते हुए भगवान महावीर ने लोगों को उन्हें सत्य का वो रास्ता दिखाया, जिस पर चलकर लोग खुद में और समाज में फैली हुई बुराइयों को समाप्त कर सकें। भगवान महावीर चाहते तो ज़िंदगीभर ऐशो-आराम से अपना जीवन बिता सकते थे लेकिन उन्होंने समाज की भलाई के लिए सबकुछ त्यागने का फैसला लिया और बन गए भगवान महावीर स्वामी।