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इस देश में कचरे की भारी कमी, खरीद रहा है दूसरे देशों से

दरअसल स्वीडन अपने जरुरत के आधे से अधिक बिजली कचरे से बनाता है। ऐसे में उसे अपने रिसाइकलिंग प्लांट्स को चलाए रखने के लिए कचरे की जरुरत है।

Dec 22, 2020 / 03:46 pm

Shaitan Prajapat

Sweden

नई दिल्ली। पूरी दुनिया में स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूकता किया जा रहा है। अपने देश में भी स्वच्छता को लेकर कई प्रकार के प्रयास किए जा रहे है। अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सड़कों पर झाडू लगाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहे है। हर साल स्वस्छता को लेकर सर्वे करते है जो सबसे साफ सुधरा शहर होता है उसको पहले पायदान पर रखा जाता है। लेकिन इस दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां पर कचरे की भारी कमी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह दूसरें देशों कचरा खरीदता है। जी हां, हम बात कर रहे है स्वीडन की।

कचरे से बनाते है बिजली
दरअसल, स्वीडन में अपनी जरुरत की आधी से ज्यादा बिजली कचरे से बनाई जाती है। ऐसे में उसे अपने रिसाइकलिंग प्लांट्स को चालू रखने के लिए उनको कचरे की जरुरत पड़ती है। अब उसके पास खत्म होने के कगार पर है। इसलिए उसने ब्रिटेन समेत कई यूरोपिय देशों से संपर्क साधा है। ताकि उन देशों से कचरे को मंगाकर अपने रिसाइकिंल प्लाट्ंस को चालू रख सके और अपने लिए बिजली बनाते रहे।

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कचरा खरीदने वाला एकमात्र देश
स्वीडन अपने सहयोगी नॉर्वे, जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस जैसे अन्य देशों से कचरे का आयात कर रही है। मौजूदा समय में उन्हें सभी आठ देशों से कचरा मंगवाना पड़ा। ऐसी स्थिति थी जहां रीसाइक्लिंग प्लांट को बंद करना पड़ा। स्वीडन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसे कचरा खरीदना पड़ता है। जबकि दुनिया भर के कई देश घरेलू कचरे के ढेर से पीड़ित हैं।

1 प्रतिशत कचरा ही फेंका जाता है
बता दें कि स्वीडन के लोग प्रकृति के महत्व को समझते हैं और उसी को ध्यान में रखकर चीजों का इस्तेमाल करते हैं। यहां के घरों में सिर्फ 1 प्रतिशत कचरा ही फेंका जाता है। उन्हें कचरे के सही इस्तेमाल का तरीका बताया जाता है। वहां निजी कंपनियां कचरा निर्यात और जलाने को काम देखती है। स्वीडन में कचरे से ऊर्जा का निर्माण किया जाता है। जिससे कड़ी ठंड के दिनों में घरों में बिजली पहुंचाई जाती है।

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