क्या है तंदूर कांड? 23 साल पहले नैना साहनी नाम की एक महिला की हत्या कर लाश को तदूंर में जला दिया गया था। हत्या करने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद नैना साहनी का पती सुशील शर्मा ही था। यह हत्याकांड ‘तंदूर कांड’ के नाम से मशहूर हुआ।
कांग्रेस नेता थीं नैना साहनी सुशील शर्मा ने 2 जुलाई 1995 को अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जब नैना साहनी की हत्या हुई थी तो सुशील शर्मा दिल्ली युवक कांग्रेस का अध्यक्ष होता था। नैना साहनी भी कांग्रेस नेता थी।
नाजायज संबंधों के शक में की हत्या सुशील को नैना के चरित्र पर शक था। उसे लगता था कि नैना के करीम मतबूल के साथ नाजायज संबंध हैं। 2 जुलाई 1995 की रात थी, सुनील घर लौटा तो नैना किसी से फोन पर बात करते हुए दिखी और सुनील को देखते ही उसने फोन काट दिया। सुनील ने री—डायल किया तो नंबर करीम मतबूल का ही निकला। सुनील का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने रिवॉल्वर से नैना पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। नैना ने मौके पर तड़प—तड़पकर दम तोड़ दिया।
लाश को ठिकाने लगाने ले किया सुशील, लेकिन… सुशील घबरा गया। उसे लगा कि अब वह पकड़ा जाएगा। बचने के लिए उसने लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचा और लाश को खून से लथपथ चादर में लपेटकर अपनी गाड़ी की डिग्गी में भर दिया। जब उसे लाश को ठिकाने लगाने के लिए सही जगह नहीं मिली तो वह उसे इंद्रप्रस्थ होटल में स्थित अपने रेस्टोरेंट में ले गया।
तंदूर में डालकर लगा दी आग रेस्टोरेंट में लोग खाना खा रहे थे, अचानक पूरा रेस्टोरेंट खाली करवा दिया गया। इसके बाद सुशील ने लाश को वहां मौजूद तंदूर में डाला और पास में रखी लकड़ियां रख दीं। लाश को जल्दी जलाने के लिए सुशील ने रेस्टोरेंट में रखे मक्खन को उड़ेल दिया और आग लगा दी। देखते ही देखते तंदूर से आग की लपटें उठने लगी।
खौफनाक था तंदूर के अंदर का नजारा
रेस्टोरेंट के ठीक बाहर फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाली महिला अनारो की नजर जैसे ही आग की लपटों पर पड़ी तो वह चिल्ला उठी। उसे लगा कि रेस्टोरेंट मे आग लग गई है। अनारो के चिल्लाने की आवाज सुनकर गश्त पर निकले दिल्ली पुलिस के सिपाही अब्दुल नजीर वहां पहुंचे और जैसे ही वह आग को देखने के लिए रेस्टोरेंट की तरफ बढ़े तो उन्हें सुनील दिख गया। उन्होंने पूछा तो बताया कि कुछ पोस्टर और बैनर हैं, जिन्हें जलाया जा रहा है, लेकिन मांस के जलने की बदबू से लोगों को शक हुआ और लड़कियां हटाकर देखा गया तो सबकी आंखें फटी रह गईं। तंदूर में लाश पड़ी थी, जो जल रही थी। सुशील मौके से फरार हो चुका था, लेकिन ज्यादा देर तक वह आजाद नहीं रह सका।