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नाई की दुकान पर काम करती हैं ये बहनें, इनकी कहानी हो रही है वायरल

समाज में व्याप्त रूढ़िवादी सोच को चुनौती के रही हैं ये बहनें
पिता के बीमार होने के बाद कर रहीं हैं नाई का काम
सरकार कर चुकी है सम्मानित

May 02, 2019 / 11:11 am

Priya Singh

नाई की दुकान पर काम करती हैं ये बहनें, इनकी कहानी हो रही है वायरल

नई दिल्ली। एक शेविंग ब्लेड बनाने वाली कंपनी के विज्ञापन ने नारी सशक्तिकरण की नई अलख जगाई है। इस विज्ञापन ने समाज की मौजूद धारणाओं को चुनौती दी है। यह विज्ञापन सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह विज्ञापन रोजगार में ‘लिंग’ संबंधी रुढियों पर सवाल खड़े कर रहा है। विज्ञापन में बताया गया है कि दो लड़कियों के बारे में बताया गया है जो उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के एक छोटे से गांव बनवारी टोला में नाई की दुकान पर काम करती हैं। विज्ञापन में एक छोटा सा बच्चा कहता है- “बापू कहते हैं जो बच्चे देखते वही सीखते हैं।” बच्चा विज्ञापन में समाज के तौर तरीकों का ज़िक्र कर रहा है।

बच्चा कहता है पिता जी का पेशा लड़के को विरासत में मिलता है। और लड़कियों को विरासत में मिलती है गृहस्ती, रसोई, घर की ज़िम्मेदारी। इतने में विज्ञापन का फ्रेम जाकर एक नाई की दुकान में रुकता है। जहां दो लड़कियां आकर बच्चे के पिता से पूछती हैं- क्यों काका दाढ़ी बना दूं? बच्चा यह देखकर हैरान रह जाता है और तपाक से अपने पिताजी से पूछता है- “बापू ये लड़की होकर उस्तरा चलाएगी?” इस पर पिता कुछ सोचते हुए जवाब देता है- अरे बेटा उस्तरे को क्या पता कि चलाने वाला लड़का है या लड़की?

बता दें कि ज्योति और नेहा नाम की इन लड़कियों ने समाज में व्याप्त रूढ़िवादी सोच को चुनौती दी है। जब दोनों बहनें किशोर थीं तभी उनके पिता बीमार पड़ गए। नेहा और ज्योति के पिता का नाम ध्रुव नारायण है। ध्रुव नारायण को लकवा मार गया। उस समय नेहा 11 साल की थीं, और ज्योति 13 साल की थीं। इसी वजह से उन्हें दुकान संभालनी पड़ी। ये बहनें लड़कों की तरह कपड़े पहनती हैं शुरुआत में गांव के लोगों को परेशानी हुई लेकिन धीरे-धीरे गांव के लोगों ने उन्हें स्वीकार कर लिया। बता दें कि बाधाओं से जूझने के लिए दोनों बहनों को सरकार ने सम्मानित भी किया है।

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