हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्कमेनिस्तान ( Turkmenistan ) की सरकार असलियत को छिपा रही है। जिस वक़्त दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना से जंग लड़ रहे हैं और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरी तरह लॉकडाउन से गुज़र रहे हैं, वहीं तुर्कमेनिस्तान में हेल्थ डे के मौके पर साइकिल रैली का आयोजन किया गया।
तुर्कमेनिस्तान ( Turkmenistan ) में रहने वाले कई लोगों का कहना है कि शुरुआत में ही यात्राओं पर रोक लगाने जैसे उपायों की वजह से ही यहां संक्रमण के मामले नहीं दिखे क्योंकि तुर्कमेनिस्तान ने लगभग एक महीने पहले ही अपनी सभी बॉर्डर बंद सील कर दिए थे।
महिला एथलीट ने गज़ब ढंग से किया सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, देखें वायरल वीडियो
इसके अलावा फरवरी में ही चीन ( China ) और दूसरे कुछ देशों के हवाई सफ़र के साथ सभी अंतरराष्ट्रीय ( International ) उड़ानों को राजधानी की जगह तुर्कमेनाबाद के लिए डायवर्ट कर दिया गया था जहां पर संदिग्ध यात्रियों के लिए एक क्वारंटाइन ज़ोन बनाया गया था।
इन क्वारंटाइन सेंटर में ठहरे कुछ लोग टेंट में रहने के बजाय रिश्वत देकर क्वारंटाइन ज़ोन से बाहर आ गए। यहां अब तक कितने लोगों का टेस्ट किया गया है और तुर्कमेनिस्तान के पास कितनी टेस्ट किट हैं, इसे लेकर भी किसी से कुछ पुख्ता जानकारी नहीं मिल पा रही।
कोरोना से निपटने के लिए कितना कारगर है तुर्कमेनिस्तान का हेल्थ केयर सिस्टम ?
सरकार की तरफ से तो कई स्तर की तैयारियां की गई हैं और यहां के अस्पतालों ( Hospital ) में सुविधाएं बेहतर हैं। इस बात से तो सभी बहुत अच्छे से वाकिफ है कि कोरोना के आगे इटली ( Italy ) और अमेरिका भी बेबस नजर आ रहे है जबकि इन देशों में हेल्थ सुविधाए काफी उन्नत है।
ऐसे में यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि अगर संक्रमण यहां सक्रंमण तेजी फैलता है तो हेल्थ सिस्टम ( Health System ) पर दबाव पड़ना तय है। इसलिए आप कितने तैयार इसका पता तो तभी चलेगा जब देश में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) तेजी से बढेगा।
जज ने पक्ष में नहीं सुनाया फैसला तो नाराज वकील बोला- ‘जा तुझे कोरोना हो जाए’
कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में काफ़ी जागरूकता दिख रहे है। दो शहरों के बीच आवाजाही पर रोक लगी है और राजधानी अश्गाबाट में आने वालों के पास डॉक्टर की रिपोर्ट होना ज़रूरी है। हर्बल रेमेडी में इस्तेमाल होने वाली एक तरह की घास को जलाने से बनने वाला धुआं बाज़ारों और दफ़्तरों में कीटनाशक के तौर पर छोड़ा जा रहा है।
इसलिए बाकी दुनिया की तुलना में देखें तो तुर्कमेनिस्तान ( Turkmenistan ) में जनजीवन अभी भी सामान्य दिख रहा है। शहर के कैफ़े और रेस्टोरेंट्स ( Cafes & Restaurants ) खुले हुए हैं। वहीं शादियों और बर्थडे पार्टियों में भी भारी भीड़ जुट रही है। जिसमें कोई शख्स मास्क पहने नहीं दिख रहा हैं।
सरकार के आंकड़ो पर संदेह
तुर्कमेनिस्तान में कोरोना वायरस महामारी की गंभीरता को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। सरकार के मुताबिक अब तक कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नही आया है। तुर्कमेनिस्तान की ओर से आधिकारिक रूप से स्वास्थ्य के जो आँकड़े जारी किए जा रहे हैं उन पर बिल्कुल भरोसा नहीं किया जा रहा।
राजधानी अश्गाबाट ( Ashgabat ) में रहने वाले एक शख़्स ने बताया, ”मेरी जान-पहचान के एक शख़्स सरकारी एजेंसी में काम करते है, उन्होंने मुझे इस बारे में बोलने से सख़्त मना किया गया है कि यहां वायरस फैला है या मैंने इसके बारे में सुना है, वरना मैं भी मुसीबत में आ सकता हूं।
इसकी एक वजह ये है कि बीते दशक में तुर्कमेनिस्तान ने दावा किया था कि वहां एक भी मरीज़ एचआईवी से संक्रमित नहीं है। जो कि किसी भी लिहाज से भरोसेमंद आंकड़ा नहीं लगता है। जबकि साल 2000 के दशक में उन्होंने लगातार कई बीमारियों के बारे में जानकारी छिपाई है।