ज्योतिष के ये टोटके बिना एक रुपया खर्च किए बदल सकते हैं आपका भाग्य सर्दियों के रोग दूर करेंगे देसी लड्डू, शरीर को भरपूर ताकत भी देंगे आज 12 दिसंबर को (शनि प्रदोष) के दिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की उदया तिथि द्वादशी सुबह 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी जोकि देर रात 3 बजकर 53 मिनट तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्योदय से लेकर रात के प्रथम पहर तक प्रदोष व्रत किया जाता है। इस अवधि में अन्न नहीं खाया जाता। सूर्यास्त के ठीक बाद रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में ही भगवान शंकर तथा शिव परिवार की पूजा का विधान है। शनि प्रदोष के दिन शंकरजी के साथ ही शनिदेव की पूजा करने से शनिजनित कष्टों से काफी हद तक राहत मिलती है।
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। प्रदोष काल में शिव परिवार की विधिविधान से पूजा करें। शिवजी को पुष्प, बेल पत्र आदि अर्पित करें. शिवजी के आगे घी का दीपक जलाएं और ऊं नमः शिवायः मंत्र का जाप करें। शिव पूजन के बाद शनिदेव की भी पूजा करें। पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। तेल का दिया जलाकर शनि के बीज मंत्र या 108 नामों का जाप करें। चूंकि शनि की दृष्टि खराब मानी जाती है इसलिए उनकी प्रतिमा के दर्शन के समय बिल्कुल सामने से न करें।
आज के शुभ मुहूर्त ये रहेंगे