प्रेगनेंट भैंस को हलाल करने ले जा रहा था कसाई तभी जानवर ने घुटने टेक लगाई रहम की गुहार इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन ‘सेतु’ के मुताबिक हनुमान जी इस जनजाति के लोगों से साल 2014 में मिलने आए थे। अब दोबारा 41 साल बाद यानि साल 2055 में वे दोबारा भक्तों से मिलेंगे। ‘मातंग’ एक ऐसी जनजाति है जो श्रीलंका के अन्य कबीलों से बिल्कुल अलग है। इनकी संख्या बेहद कम है। ‘मातंग’ समुदाय का इतिहास रामायण (Ramayan) काल से जुड़ा है।
बताया जाता है कि भगवान राम के स्वर्ग चले जाने के बाद हनुमान जी अयोध्या से दक्षिण भारत के जंगलों में चले गए थे। इसके बाद वे श्रीलंका पहुंचे थे। यहां ‘मातंग’ कबीले के लोगों ने उनकी खूब सेवा की। इससे प्रसन्न होकर हनुमान जी ने लोगों से दोबारा मिलने का वादा किया था।