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Birth Anniversary: क्रान्तिकारी ऊधम सिंह ने 21 साल बाद लिया जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला

Birth Anniversary:
ऊधम सिंह (26 दिसम्बर 1899- 31 जुलाई 1940)
उधम सिंह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे।

Dec 26, 2020 / 11:18 am

Deovrat Singh

Birth Anniversary: उधम सिंह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। इनका जन्म 26 दिसम्बर 1899 को हुआ था। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ’ ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी। ऊधम सिंह की ज़िंदगी पर ठंडा करके खाने वाली कहावत लागू होती है। जिन्होंने साल 1919 में हुए जलियाँवाला बाग़ में हत्याकांड का बदला लेने के लिए पूरे 21 साल तक इंतज़ार किया। वही माइकल ओ ड्वाएर, जिन्होंने क़दम-क़दम पर उस हत्याकांड को उचित ठहराया था।

जलियाँवाला बाग़ में जब क़त्लेआम हो रहा था, ऊधम सिंह वहाँ स्वयं मौजूद थे और उन्होंने वहाँ की मिट्टी उठा कर क़सम खाई थी कि वो एक दिन इस ज़्यादती का बदला जरूर लेंगे। साल 1933 में ऊधम सिंह ने एक जाली पासपोर्ट के ज़रिए ब्रिटेन में प्रवेश किया था। 1937 में उन्हें लंदन के शेफ़र्ड बुश गुरुद्वारे में देखा गया। उन्होंने बेहतरीन सूट पहन रखा था। वो अपनी दाढ़ी कटा चुके थे और वहाँ मौजूद लोगों से अंग्रेज़ी में बात कर रहे थे। उस समय एक शख़्स उनसे बहुत प्रभावित हुए थे, जिनका नाम था शिव सिंह जोहल। उनसे ऊधम सिंह ने एक राज़ साझा किया था कि वो एक ख़ास अभियान को पूरा करने इंग्लैंड आए हैं, वो उनके कॉन्वेंट गार्डेन स्थित ‘पंजाब रेस्तरां’ में अक्सर जाया करते थे।

अल्फ़्रेड ड्रेपर अपनी किताब ‘अमृतसर-द मैसेकर दैट एंडेड द राज’ मे लिखते हैं, “12 मार्च, 1940 को ऊधम सिंह ने अपने कई दोस्तों को पंजाबी खाने पर बुलाया था। भोजन के अंत में उन्होंने सबको लड्डू खिलाए। जब विदा लेने का समय आया तो उन्होंने एलान किया कि अगले दिन लंदन में एक चमत्कार होने जा रहा है, जिससे ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिल जाएंगीं।

कैस्टन हॉल में ‘मोहम्मद सिंह आज़ाद’
13 मार्च 1940 के दिन जब लंदन जागा तो चारों तरफ़ बर्फ़ की चादर फैली हुई थी। ऊधम सिंह ने अपने वार्डरॉब से सलेटी रंग का एक सूट निकाला। उन्होंने अपने कोट की ऊपरी जेब में अपना परिचय पत्र रखा, जिस पर लिखा हुआ था-मोहम्मद सिंह आज़ाद, 8 मौर्निंगटन टैरेस, रीजेंट पार्क, लंदन। ऊधम सिंह ने 8 गोलियाँ निकालकर अपनी पतलून की बाईं जेब में डाली और फिर अपने कोट में स्मिथ एंड वेसेन मार्क 2 की रिवॉल्वर रखी।

लंदन के कैक्‍सटन हॉल में ईस्‍ट इंडियन एसोसिएशन की मीटिंग थी। ब्रिटिश पंजाब में लेफ्टिनेंट गवर्नर रह चुके सर माइकल ओ’ड्वायर इसमें शरीक थे और वही निशाना थे। क्‍योंकि उनके पंजाब की कमान संभाले रहने के दौरान ही जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। ओ’ड्वायर ने जनरल डायर के निहत्‍थे भारतीयों पर गोली चलाने के हुक्‍म का समर्थन किया था। ओवरकोट और टोपी पहने उधम सिंह ने कई गोलियां चलाई। ओ’ड्वायर की मौत हो गई और भारत के सचिव, लॉड जेटलैंड, बॉम्‍बे के पूर्व गवर्नर लॉर्ड लैमिंग्‍टन और पंजाब के पूर्व गवर्नर सर लुइस डेन घायल हो गए। उधम सिंह को मौके पर ही पकड़ लिया गया। अगले दिन, 14 मार्च के डेली मिरर में एक हेडलाइन छपी, ‘हत्‍यारे ने मंत्री को गोली मारी, नाइट की हत्‍‍‍‍या’।


केवल दो दिन ट्रायल चला और फांसी हो गई
मर्डर ट्रायल केवल दो दिन चला, 4 और 5 जून को। जब उधम सिंह को अदालत में लाया गया तो उन्‍होंने खुद को ‘निर्दोष’ कहा। 5 जून को अभियोजन पक्ष ने उधम सिंह से पूछताछ की और फिर ज्‍यूरी ने एकमत से सिंह को हत्‍या का दोषी ठहरा दिया। 24 जून को सिंह की तरफ से एक अपील फाइल की गई जिसमें ज्‍यूरी के सामने अपर्याप्‍त डिफेंस की बात कही गई थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। उधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को लंदन के पेंटनविल जेल में फांसी दे दी गई।

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