ये घटना है अंटार्कटिका की जहां पिछले हफ्ते आसमान नीले की बजाय गुलाबी और पर्पल रंग में दिखाई दिया। इसकि कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। तस्वीरों को देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे किसी अजीब से रंग या छाया ने पूरे इलाके को ही घेर लिया है जबकि ये घटना पूरी तरह से प्राकृतिक थी।
क्यों गुलाबी हो गया आसमान?
इसपर कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ज्वालामुखी फटने के बाद सल्फैट पार्टिक्लस, समुद्री नमक और वाटर वेपर ने Aerosol बनाया। यही Aerosol हवा में घूमते रहे जिनसे सूरज की किरणे टकराकर वापस स्पेस में जा रही थीं और इस टकराव से जो रंग उभरकर सामने आया वो गुलाबी, बैंगनी और नीला रंग था। इसलिए अंटार्कटिका के आसमान का रंग ही गुलाबी दिखाई देने लगा।
क्यों गुलाबी हो गया आसमान?
इसपर कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ज्वालामुखी फटने के बाद सल्फैट पार्टिक्लस, समुद्री नमक और वाटर वेपर ने Aerosol बनाया। यही Aerosol हवा में घूमते रहे जिनसे सूरज की किरणे टकराकर वापस स्पेस में जा रही थीं और इस टकराव से जो रंग उभरकर सामने आया वो गुलाबी, बैंगनी और नीला रंग था। इसलिए अंटार्कटिका के आसमान का रंग ही गुलाबी दिखाई देने लगा।
Aerosol को किया गया ट्रैक
इस घटना का उल्लेख न्यूजीलैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NIWA) ने एक प्रेस रिलीज के जरिए किया है। इस इंस्टीट्यूट नेस्कॉट स्टेशन के ऊपर एरोसोल की मौजूदगी ट्रैक किया तो पता चला इनकी संख्या काफी अधिक थी।
बता दें कि 15 जनवरी को जमीन से करीब 20 मील की दूरी पर हंगा टोंगा हुंगा हापई पानी के नीचे ज्वालामुखी फटा था जिसे सैटेलाइट द्वारा भी कैप्चर किया गया था। इससे बनने वाला Aerosol आसमान में दो वर्षों तक रह सकता है और धीरे-धीरे आसमान में फैलता जाता है। ये सूर्य की किरणों को वापस स्पेस में रिफ्लेक्ट करते हैं जिससे ये अजीब रंग दिखाई देते हैं।
इस घटना का उल्लेख न्यूजीलैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NIWA) ने एक प्रेस रिलीज के जरिए किया है। इस इंस्टीट्यूट नेस्कॉट स्टेशन के ऊपर एरोसोल की मौजूदगी ट्रैक किया तो पता चला इनकी संख्या काफी अधिक थी।
बता दें कि 15 जनवरी को जमीन से करीब 20 मील की दूरी पर हंगा टोंगा हुंगा हापई पानी के नीचे ज्वालामुखी फटा था जिसे सैटेलाइट द्वारा भी कैप्चर किया गया था। इससे बनने वाला Aerosol आसमान में दो वर्षों तक रह सकता है और धीरे-धीरे आसमान में फैलता जाता है। ये सूर्य की किरणों को वापस स्पेस में रिफ्लेक्ट करते हैं जिससे ये अजीब रंग दिखाई देते हैं।