नानक सिंह के परिवार ने उसके बॉर्डर लांघ जाने के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स से संपर्क किया लेकिन उन्होंने उनके बेटे को लौटने से मना कर दिया। पाकिस्तान की तरफ से नानक सिंह को एक शर्त पर लौटाने की बात की गई। पाकिस्तान से थाना रमदास में सूचना दी गई कि उनकी कुछ भैंसें देने पर ही नानक सिंह को लौटाया जाएगा। नानक का परिवार गरीब था वह ना तो खोई भैंसों को ढूंढ सकता था और न ही नई भैंसें खरीदकर देने की उनकी स्थिति थी।
नानक सिंह का यह मामला भिखीविंड के सरबजीत सिंह ( Sarabjit Singh ) के साथ उठा ज़रूर था लेकिन गरीबी और अशिक्षा के कारण यह मामला ज़्यादा सुर्खियां बटोर नहीं पाया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1990-91 में पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीयों की सूची आई तो उसमें नानक सिंह का भी नाम था। उस सूची में लिखा था कि नानक सिंह पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में बंद है। सूची में नानक सिंह को लेकर सारी जानकारी सही थी लेकिन उसमें उसका नाम कक्कड़ सिंह लिखा था। नानक को जेल से रिहा कराने के लिए कई कोशिशें की गईं लेकिन बात उसके नाम पर आकर रुक जाती थी।
34 साल से परेशान नानक सिंह के परिवार का कहना है कि उनके बेटे के साथ बिलकुल सरबजीत सिंह जैसा सलूक किया गया। सरबजीत सिंह की तरह उनके बेटे का भी नाम बदल दिया गया। नानक के परिवार को डर है कि उसके साथ भी सरबजीत सिंह जैसा ही सलूक तो नहीं होता। इस हरकत से पाकिस्तान पर सवाल खड़ा होता है वह नानक सिंह को किस जुर्म में जेल में बंद किए हुए है। जब वह सीमा पार गया तो महज 7 साल का था और 7 साल का बच्चा तो आतंकवादी भी नहीं हो सकता। परिवार का कहना है कि भारत सरकार से उन्होंने कई बार गुहार लगाई लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।