सर्वे में शामिल 67 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने किसी वेबसाइट पर साइन अप करते हुए या किसी उत्पाद का उपयोग करते समय नियम और शर्तो या अन्य सुरक्षा व लीगल गाइडलाइंस को स्किप किया है। 54 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने पिछले 6 माह से अधिक समय से अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड नहीं बदले हैं, जबकि 31 प्रतिशत को याद ही नहीं है कि उन्होंने पासवर्ड कब बदले थे। सर्वे में शामिल 56 प्रतिशत लोगों ने अपनी प्रोफेशनल या सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर अपना मोबाइल नंबर आराम से शेयर किया है। ऐसा तब है जब सोशल मीडिया साइट्स और बैंक अपने उपयोगर्ताओं या फिर ग्राहकों को समय-समय पर पासवर्ड बदलने की सलाद देते हैं और यह भी कहा जाता है कि पासवर्ड काफी स्ट्रांग होना चाहिए।
सुरक्षा के प्रति उपेक्षा दर्शाने वाले इन लोगों में हालांकि वित्तीय सुरक्षा के लिए बड़ी जागरूकता है। 68 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट्स, लैपटॉप या फोन के लिए ओटीपी या पासवर्ड कभी किसी के साथ शेयर नहीं किया है। ऐसा करना भी नहीं चाहिए क्योंकि इससे एकाउंट हैक होने का खतरा है। ओएलएक्स इंडिया की निर्देशक और जनरल काउंसेल लवण्या चंदन ने कहा, “इंटरनेट हमारे जीवन पर हावी हो गया है। इसलिए उसका उपयोग ऐसे करना कि हमारे जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो और वास्तविक संसार जैसी सावधानी रखकर सुरक्षित रहना, हमारे हित में है। सेफर इंटरनेट डे हमारी मनोवृत्ति और व्यवहार को परखने का उचित अवसर है, ताकि हमारी और हमारे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।”