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होशंगाबाद

प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां महादेव का सिंदूर से कराया जाता है स्नान

महाशिवरात्रि पर लगता है शिवभक्तों का तांता

होशंगाबादMar 03, 2019 / 09:09 pm

sandeep nayak

tilak sindoor mandir itarsi and mahashivratri pooja

प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां महादेव का सिंदूर से कराया जाता है स्नान

कृष्णा राजपूत/इटारसी। आपके भोलेनाथ के कई मंदिरों के बारे में सुना होगा। उनके दर्शन किए होंगे। आज हम आपको ऐसे ही एक विशेष मंदिर से रू-ब-रू कराएंगे। जिसका इतिहास अपने आप में समृद्ब है। ये इटारसी से 18 किमी दूर स्थित तिलक सिंदूर धाम। जो यहां पहुंचने वालों के लिए आस्थ का केंद्र बना है। हर वैसे तो हर दिन सैकड़ों शिवभक्त पहुंचते हैं लेकिन महाशिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में शिवभक्त पहुंचते हैं।

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कराते हैं सिंदूर से स्नान
यहां महाशिवरात्रि पर शिवजी की प्रतिमा का सिंदूर से स्नान कराकर श्रृंगार किया जाता है, इसलिए इसे तिलक सिंदूर कहते हैं। पैराणिक कथाओं में भी विशेष महत्व है। नेपाल बार्डर पर बिहार में रहने वाले तपस्वी ब्रम्हालीन कलिकानंद के अनुसार यह ओंकारेश्वर महादेव मंदिर का समकालीन शिवलिंग है। यहां शिवलिंग पर स्थित जलहरी का आकार चतुष्कोणीय है, जबकि सामान्य तौर पर जलहरी त्रिकोणात्मक होती है। ओंकारेश्वर महादेव की तरह ही यहां का जल पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होता है। मंदिर का संबंध गोंड जनजाति से है। यहां आदिवासी पूजा अर्चना के दौरान सिंदूर का उपयोग करते हैं।
भवानी अष्टक में है जिक्र
यहां बम-बम बाबा ने साधना की थी। नेपाल की बार्डर पर बिहार के रहने वाले कालिकानंद ब्रह्मचारी देवी भक्त थे और वह तांत्रिक साधनाएं करते थे। देवी भक्त बम बम बाबा बताते थे कि भवानी अष्टक में तिलक वन का जो जिक्र है। वह तिलक सिंदूर ही है।

आज भी है यहां सुरंग
मान्यता है कि मंदिर के पास की गुफा से एक सुरंग पचमढ़ी के निकट जम्बूद्वीप गुफा तक जाती है। भस्मासुर के स्पर्श से बचने के लिए भगवान शंकर यहां से भागे थे और पचमढ़ी के पास निकले थे। यहां पहुंचने वाले लोग इस गुफा के दर्शन भी करते हैं। मंदिर के सामने है श्मशान तिलकसिंदूर में पहाड़ी पर शिवालय है और सामने हंसगंगा नदी है। हंसगंगा नदी के पार श्मशान है। इस श्मशान में आसपास बसे करीब 15 गांवों के लोग दाह संस्कार करते हैं। शिवालय के आसपास श्मशान होना एक खास महत्व रखता है।

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