यूनिसेफ के एक अध्ययन के मुताबिक इस वक्त कोरोना महामारी की वजह से बच्चों में भी चिंता, तनाव और अनिश्चितता के भाव हैं।(Mental stress due to lockdown) चूंकि, स्कूल बंद हैं, इनकी गतिविधियां बेहद सीमित हैं तो यह उनके मानसिक तनाव को और बढ़ा रहे हैं। जानकार मानते हैं कि बच्चे घर से बाहर नहीं निकल रहे, दोस्तों से नहीं मिल रहे हैं तो उनपर मानसिक दबाव भी पड़ रहा है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि सबसे पहली और जरूरी बात है कि लाॅकडाउन के दौरान डेली रूटीन सही रखें। बच्चों के सोने, खाने, एक्सरसाइज, पढ़ाई और खेल के समय को सही तरीके से शेड्यूल करें। रूटीन का बच्चों के ऊपर सही असर पड़ता है। रोजाना दिन में कम से कम एक घंटा बच्चों के साथ बातचीत करें, उनकी मन की सुने। बच्चों के साथ हमेशा सकारात्मक व्यवहार करें। खुद के गुस्से, अवसाद, चिंता आदि नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखें। बच्चों से उनकी मन की बात सुने, पूछे कि वह क्या क्या करना चाहते हैं। उनको सोशल डिसटेंसिंग के बारे में समझाएं।
बच्चा अगर चिड़चिड़ा हो रहा है तो उसे सकारात्मक ढंग से समझाएं, उसके इस बदल व्यवहार की वजह तलाशने की कोशिश करें। बच्चों को अपने दोस्तों से बातचीत करने के लिए मोबाइल, इंटरनेट आदि के प्रयोग पर रोक न लगाएं बल्कि इसके लिए प्रोत्साहित करें।