शैलाश्रयों के संरक्षण पर फोकस : यहां मौजूद अधिकतर शैलाश्रयों के चित्र वर्षा तथा धूप के कारण नष्ट हो गए हैं। शैलाश्रय क्रमांक 10 में सबसे ज्यादा चित्र बने हुए हैं। इनमें कई उल्लेखनीय चित्र हैं, जिनमें जिराफ समूह नजर आता है, जो इससे पहले कहीं भी शैलचित्रों में नहीं देखा गया।
आदमगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में पाषाण उपकरणों की भरमार है। वर्ष 1960-61 के दौरान हुए उत्खननों में आदमगढ़ से बड़ी मात्रा में पाषाण उपकरण मिले थे। इससे माना जाता है कि यह स्थल आदिमानव द्वारा उपकरणों के निर्माण स्थल के रूप में प्रयुक्त किया गया था।
इनसें जुड़ी खास बातें
1. विंध्य प्रर्वतमाला में विद्यमान आदमगढ़ की पहाड़ी, होशंगाबाद के दक्षिण में 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2. आदम गढ़ में 20 चट्टानी आश्रय चित्रकारी से सजे हैं जो लगभग 4 किमी के क्षेत्र में फैले हुए हैं।
3. यह शैलचित्र पाषाण काल तथा मध्यपाषाण काल के हैं।
4. शैलाश्रयों में पशु जैसे वृषभ, गज,
अश्व, सिंह, गाय, जिराफ, हिरण आदि योद्धा मानवकृतियां नर्तक, वादक तथा गजारोही अश्वारोही एवं टोटीदार पात्रों का अंकन है।
5. इन चित्रों को खनिज रंग जैसे हेमेटाइट, चूना, गेरू आदि में प्राकृतिक गोंद, पशु चर्बी के साथ पाषाण पर प्राकृतिक रूप से प्राप्त पेड़ों के कोमल रेशों अथवा जानवरों के बालों से बनी कूची की सहायता से उकेरा गया है।
आदमगढ़ पहाडिय़ा के 15 एकड़ भूमि में पार्क बनेगा। यह काम दो चरणों में होगा। पार्क बनाने के लिए ड्राइंग डिजाइन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय आगरा में बनाई जा रही है।
संजय सिंह, एमटीएस भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण