डॉ स्मृति लहरपुरे ने मरने से पहले पहले एक चिट्ठी अपने घर वालों के नाम लिखी थी, अब वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। वह चिट्ठी सरकार और उसके सरकारी सिस्टम को आईना दिखाने के लिए काफी है। यह चिट्ठी बताती है कि कैसे मध्यप्रदेश के भीतर निजी मेडिकल कॉलेजों को मनमानी करने की छूट मिली हुई है। आत्महत्या की वजह मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा लगातार फीस के लिए दबाव बनाना सामने आया था। काउंसलिंग के दौरान मुझे जो फीस बताई गई थी उसके अनुसार टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार और हॉस्टल फीस 2 लाख थी। इसके बाद जब मैं कॉलेज में ज्वाइन करने आई तो इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन ने मुझसे कॉशन मनी और एक्सट्रा करिकुलर एक्टीविटी के नाम पर फिर 2 लाख मांगे। चूंकि मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं इसलिए अतिरिक्त फीस नहीं चुका सकती थी लेकिन नीट परीक्षा के बाद बामुश्किल मिला पीजी करने का यह अवसर हाथ से न निकल जाए इसलिए मैंने 2 लाख का फिर लोन लिया, इसके बाद जैसे ही मैं ज्वाइन करने पहुंची कॉलेज प्रबंधन ने फिर दो लाख मांग लिए इसके बाद रातभर के प्रयास के बाद मैने अपनी सीट खोने के डर से मैंने यह व्यवस्था भी की लेकिन कॉलेज ने टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार से 9 लाख 90 हजार कर दी और सभी छात्रों से यह फीस जमा करने को बोला जाहिर से अचानक एक लाख 35 हजार की फीसवृद्धि सहन करना हर किसी के लिए मुश्किल था इसलिए हम सभी लोग इसके खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट गए।
मेरी मौत के लिए सीधे तौर पर इंडेक्स कॉलेज के चैयरमैन सुरेश भदौरिया और उनके कॉलेज का मैनेजमेंट है, इनमें मुख्यरूप से डॉ के के खान हैं क्योंकि इन दोनों के द्वारा मुझे लगातार प्रताडित किया जा रहा था। मैने जून 2017 में नीट परीक्षा के माध्यम से ज्वाइन किया था। मुझे माफ कर देना मम्मी, स्वामी और सूर्या…मैं डॉ स्मृति लहरपुरे पूरे होश हवास में लिख रही हूं न ही कभी मैने कोई नशे या दवाई का सेवन ही किया है। सबसे पहले मै अपनी माँ और भाईयों से माफी चाहती हूं कि मैं ऐसा कदम उठा रही हूं क्योंकि तुम तीनों ने हर विपरीत परिस्थितियों में मेरा साथ दिया, मै इन लोगों ने और नहीं लड़ सकती इसलिए मुझे माफ कर देना।
साहू समाज बोला- मामला दर्ज हो
साहू समाज ने बुधवार को इंडेक्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर प्रताडऩा करने का आरोप लगाते हुए एसपी डीआर तेनीवार को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की। उनका आरोप की कॉलेज की प्रताडऩा एवं धमकी से भयभीत होकर स्मृति ने आत्महत्या की थी। इस मामले के 2 सप्ताह बीतने के बावजूद पुलिस ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। अब तक एफआईआर तक नहीं लिखी गई।