मृगशिर ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र प्रात: ९.५४ तक, इसके बाद आद्र्रा ‘तीक्ष्ण व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है।
•Feb 25, 2018 / 09:28 am•
सुनील शर्मा
दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि रात्रि ८.१० तक, फिर एकादशी नंदा संज्ञक तिथि प्रारंभ हो जाएगी। यदि समयादि शुद्ध हो तो दशमी में विवाहादि मांगलिक कार्य, गृहारंभ, प्रवेश, यात्रा, सवारी और एकादशी में यज्ञोपवीत, विवाहादि मांगलिक कार्य, देवकार्य और प्रवेश आदि विषयक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। पर अभी होलाष्ट में विवाहादि मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते हैं।
नक्षत्र: मृगशिर ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र प्रात: ९.५४ तक, इसके बाद आद्र्रा ‘तीक्ष्ण व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मृगशिरा नक्षत्र में यथा आवश्यक विवाह और कृषि सम्बंधी कार्य शुभ एवं सिद्ध होते हैं।
विशिष्ट योग: दोष समूह नाशक रवियोग शक्तिशाली शुभ योग सम्पूर्ण दिवारात्रि है। रवियोग- किसी भी प्रकार के तिथि, नक्षत्रजन्य कुयोगों की अशुभताओं को नष्ट कर शुभकार्यारंभ के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन: रात्रि ११.३१ पर बुध पूर्वाभाद्रपद में प्रवेश करेगा।
चंद्रमा: सम्पूर्ण दिवारात्रि मिथुन में है।
वारकृत्य कार्य : रविवार को सामान्यत: स्थिर कार्य, मंत्र, अस्त्र, युद्ध, अग्नि, पशु क्रय-विक्रय, सेवा, नौकरी, धातु, सोना और
श्रेष्ठ चौघडि़ए :
आज प्रात: ८.२४ से दोपहर १२.४० तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०५ से अपराह्न ३.३१ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१७ से दोपहर १.०३ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल :
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
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