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ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।। राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः।। राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।। MUST READ : अमवस्या क्यों कहलाती है निशाचरी? जानिये इसके पीछे का रहस्य
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क्या करें-क्या न करें… What to Do or What Don’t
– राहु दशा के दौरान शराब का सेवन कतई न करें। लावारिस शव के दाह-संस्कार के लिए शमशान में लकडिय़ां दान करें। अप्रिय वचनों का प्रयोग न करें।
– माना जाता है कि यदि कुंडली में गुरु (बृहस्पति) अशुभ प्रभाव में हो, राहु के साथ या उसकी दृष्टि में हो तो ऐसी स्थिति में किसी अपंग छात्र की पढ़ाई या इलाज में सहायता करना राहु के दुष्प्रभावों में कमी लाता है। इसके अलावा राहु के दुष्प्रभावों में कमी के लिए शैक्षणिक संस्था के शौचालयों की सफाई की व्यवस्था कराने के अलावा शिव मंदिर में नित्य झाड़ू लगाने सहित पीले रंग के फूलों से शिव पूजन करना भी लाभकारी है।
– वहीं राहू में शनि की अंतर्दशा में परिवार में कलह की स्थिति बनती है। इस समय तलाक, भाई-बहन और संतान से अनबन, नौकरी में संकट की संभावना रहती है। शरीर में अचानक चोट या दुर्घटना के योग, कुसंगति आदि की संभावना रहती है। साथ ही वात और पित्त जनित रोग भी हो सकता है।
इससे बचाव के लिए भगवान शिव की शमी के पत्तों से पूजा और शिव सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि शमी के पत्ते भगवान शिव पर चढ़ाए जाने से राहु ही नहीं बल्कि शनि व केतु के दोष भी दूर हो जाते हैं।
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– भगवान गणेश को शतनाम सहित दूर्वा चढ़ाते रहें।
– भैरवजी के मंदिर में ध्वजा चढ़ाएं। कुत्तों को रोटी, ब्रेड या बिस्कुट खिलाएं।
– शिव मंदिर में नंदी की पूजा करें और वस्त्र आदि दान दें।
– प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का शुद्ध दूध से अभिषेक करें।
: माना जाता है कि राहु की दशा आने पर जातक को किचन में जहां खाना बनता है वहीं जमीन पर आसन लगाकर बैठ भोजन करना चाहिए।
: वहीं राहु की दशा में गोमेद रत्न पहनने के लिए भी कहा जाता है, लेकिन ध्यान रखें बिना किसी जानकार की सलाह के इसे पहनना घातक हो सकता है, वहीं राहु की दशा चले जाने पर इसे उतार भी देना चाहिए वरना माना जाता है कि ये आपको कई तरह से नुकसान भी पहुंचा सकता है।